उत्तर प्रदेशराज्य

फास्टैग से जुड़ी तकनीकी खामियां    में सुधार की कवायद

स्वतंत्रदेश,लखनऊ:यातायात की सुविधा के लिए बनीं सड़कों और एक्सप्रेस-वे पर बेकाबू रफ्तार, यातायात नियमों की अनदेखी, फास्टैग से जुड़ी तकनीकी खामियां दुविधाओं का काम कर रही है। उत्तर प्रदेश की बात करें तो यह समस्या राजधानी लखनऊ और तमाम बड़े शहरों को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्गो पर भी बढ़ रही है। वाहनों के अनियंत्रित रफ्तार से राहगीर दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं तो फास्टैग जैसी प्रक्रिया में खामी के चलते टोल नाकों पर अब भी वाहनों की कतारें देखी जा सकती हैं।

 यातायात नियमों का पालन कराना वक्त की बड़ी जरूरत है। विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर वाहन चालक तय किए गए ट्रैफिक नियमों का पालन करने लग जाएं तो दुर्घटनाओं की संख्या न्यूनतम हो जाएगी।

राष्ट्रीय राजमार्गो पर टोल टैक्स कलेक्शन को आसान बनाने के लिए फास्टैग की शुरुआत की गई है। इसे टोल टैक्स वसूली का सरल तरीका माना जाता है। मगर आसान मानी जाने वाली यह प्रक्रिया भी कई टोल प्लाजा पर पेचीदा होती जा रही है। दरअसल फास्टैग नेशनल इलेक्ट्रानिक टोल कलेक्शन प्रोगाम के तहत शुरू हुआ है। यह रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन तकनीक पर काम करता है। बैंक खाते से जुड़ा फास्टैग वाहनों की विंडस्क्रीन पर लगा होता है और जैसे ही टोल प्लाजा से गुजरता है, वहां लगे सेंसर उपकरण उसे स्कैन कर टोल वसूल लेते हैं। परंतु इस तकनीक में कई खामियां दिख रही हैं। कई बार जब सेंसर उपकरण खराब हो जाता है, तो टोल के कर्मचारी गाड़ियों के पास स्कैनर लेकर पहुंचते और प्रक्रिया पूरी करते हैं। इसमें वक्त लगता है और पीछे वाहनों की बड़ी कतारें लग जाती हैं। दूसरी ओर कई बार वाहन चालकों के फास्टैग अकाउंट में राशि नहीं होने के कारण भी दिक्कतें आती हैं। इस जिद्दोजहद में कई आकस्मिक सेवाएं भी प्रभावित होती हैं। इंडियन हाइवे मैनेजमेंट लिमिटेड को इस समस्या को दूर करने के लिए कुछ उपाय तलाशना चाहिए।

सड़क पर हो रहे हादसों का आंकड़ा भी भयावह होता जा रहा है। गत वर्ष विश्व बैंक की एक रिपोर्ट जारी हुई थी। इसमें बताया गया है कि भारत में हर साल साढ़े चार लाख सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं और डेढ़ लाख राहगीर असमय मौत का शिकार हो रहे हैं। सरकारें भी मानती हैं कि हर वर्ष बड़ी संख्या में सड़क दुर्घटनाओं में लोगों की मौत हो रही है। इनमें से अधिकांश हादसे राजमार्गो पर होना बताया गया है।

प्रदेश सरकार द्वारा दुर्घटनाएं रोकने के लिए प्रयास हुए हैं, मगर ये बहुत अधिक प्रभावी नहीं हो पाए। सड़क निर्माण की गुणवत्ता में सुधार किया गया है। यातायात नियमों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। ट्रैफिक सप्ताह से लेकर यातायात पखवाड़े तक का आयोजन किया जाता रहा है। सड़क सुरक्षा के लिए समितियां भी गठित की गई हैं। 

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