मो. इकबाल अंसारी का बड़ा बयान
स्वतंत्रदेश,लखनऊबाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे मो. इकबाल अंसारी का कहना है कि ढांचा ध्वंस के आरोपियों को बरी किया जाए। उनका मानना है कि रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के विवाद में गत वर्ष नौ नवंबर को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद गड़े मुर्दे नहीं उखाड़े जाने चाहिए और विवाद भूलकर मुल्क की तरक्की में लगना चाहिए। उनका कहना है कि देश को ऐसे विवाद से कहीं अधिक रोजगार, आर्थिक मजबूती, राष्ट्रीय एवं सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा की व्यवस्था को बेहतर बनाने की जरूरत है।
ढांचा में तोडफ़ोड़ शुरू होते ही रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास रामलला को गर्भगृह से लेकर बाहर आ गए थे और पास ही स्थित नीम के पेड़ के नीचे उन्हेंं स्थापित किया गया। रामलला करीब सात घंटे तक पेड़ के नीचे रहे और ढांचा ढहाये जाने और भूमि समतलीकरण के बाद रामलला वापस गर्भगृह में लाए जा सके। वे कहते हैं, पुजारी के रूप में मेरे लिए वह दृश्य दुखद था, पर आज मंदिर निर्माण शुरू होने के साथ उतना ही सुख मिल रहा है।
छह दिसंबर, 1992 की घटना के प्रत्यक्षदर्शी रहे रामजन्मभूमि के ही बगल स्थित रंगमहल के महंत रामशरणदास के अनुसार, कारसेवक आक्रोशित थे और वे किसी की परवाह किए बगैर ढांचा गिरा देने पर तुले हुए थे। यहां तक कि विहिप के कुछ नेताओं ने उन्हेंं रोकने का प्रयास किया, पर वे रुके नहीं। पहले तो वे संगीनधारी अर्ध सैनिक बल के जवानों से डरे बिना ढांचा की ओर बढ़े ओर उसके बाद ढांचा गिराने के लिए जान पर खेल गए