सपा की हार में कांग्रेस को दिखी उम्मीद
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में 2.33 प्रतिशत वोट और दो सीटें पाने वाली कांग्रेस समाजवादी पार्टी की हार से भविष्य के सपने बुनने लगी है। चुनाव में भाजपा का विकल्प बनने की सपा की विफलता को कांग्रेस पार्टी वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए अपने लिए उम्मीद के तौर पर देख रही है।
कांग्रेस को यह लग रहा है कि भाजपा के खिलाफ लामबंद हुए जो मतदाता चुनाव में सपा का समर्थन करने के बावजूद उसे सत्ता में न ला सके, वे अगले लोकसभा चुनाव में उसे विकल्प के तौर पर आजमाएंगे। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के कारणों की समीक्षा के लिए मंगलवार को नई दिल्ली में प्रियंका गांधी वाड्रा की अध्यक्षता में हुई बैठक में पार्टी की इसी धारणा के आधार पर लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति तय करने पर सहमति बनी है।
बैठक में उप्र के ज्यादातर कांग्रेस पदाधिकारियों ने यह दलील दी कि चुनाव में ध्रुवीकरण के कारण मुकाबला भाजपा-सपा के बीच केंद्रित हो गया। ध्रुवीकरण के कारण महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों को लेकर भाजपा से नाराज मतदाताओं को कांग्रेस विकल्प के तौर पर भले ही न दिखी हो, लेकिन सपा के पीछे पूरी ताकत झोंकने वाले मतदाताओं का यह वर्ग लोकसभा चुनाव में स्वाभाविक तौर पर कांग्रेस की ओर मुड़ेगा।
बसपा के पराभव से भी कांग्रेस आशावान है। उसे लगता है कि बसपा से निराश उसके परंपरागत वोटर भी देर-सवेर कांग्रेस की ओर रुख करेंगे। कांग्रेस को आस जगी है कि कभी उसके साथ खड़े रहने वाले मुस्लिम और दलित मतदाता राष्ट्रीय फलक पर होने वाले लोकसभा चुनाव में उसकी ओर फिर वापस होंगे। कभी कांग्रेस का बड़ा जनाधार रहे मुस्लिमों पर जहां सपा ने पकड़ बना ली, वहीं कांग्रेस के दलित वोट बैंक पर बसपा ने कब्जा कर लिया।