उत्तर प्रदेशराज्य

कई प्लाटों की फर्जी रजिस्ट्री में नप सकते हैं अफसर

स्वतंत्रदेश,लखनऊ:फर्जी भूखंड घोटाले की रजिस्ट्री करने में तत्कालीन अफसरों की भूमिका भी संदिग्ध रही है। गोमती नगर के विनम्र खंड स्थित भूखंड संख्या 1/57 में खेल हुआ। इस रजिस्ट्री को करने में बाबू से लेकर तत्कालीन उपसचिव और सचिव की भूमिका भी संदिग्ध है। फाइल मेंं दोनों अफसरों के हस्ताक्षर हैं। हालांकि, हस्ताक्षरों की जांच के बाद ही पता हो सकेगा कि सही हैं या गलत। इस खेल में योजना देख रहे तत्कालीन बाबू की भूमिका भी पूरी तरह संदिग्ध है।

 लविप्रा ने अभी तक मामले की जांच को गति नहीं दी है। यह भूखंड राजेश्वरी देवी के नाम से शारदा नगर में पहले फर्जी तरीके से आवंटित किया गया और फिर गोमती नगर के विनम्र खंड में आवंटित कर दिया गया। इसकी फाइल भी बाबुओं ने लविप्रा से गायब कर दी है। वहीं शासन द्वारा विनम्र खंड के भूखंड संख्या 4/26 पर भी जांच अभी बाकी है। इस भूखंड की फर्जी तरीके से रजिस्ट्री की गई है। वहीं विनम्र खंड के 200 वर्ग मीटर के भूखंड संख्या 3/262 की रजिस्ट्री दलालों ने चौक के पाटा नाला निवासी रेहान के नाम पर की और फिर कौशंभी के पंकज तिवारी को खड़ा करके फर्जी तरीके से दूसरी रजिस्ट्री हो गई थी। यही नहीं तीसरी रजिस्ट्री दलाल करने की फिराक में थे, तभी मामला खुला गया। बता दे कि इसका बयाना भी दलालों ने ले लिया था, शासन ने इस पर आख्या मांगी थी, जो लविप्रा ने शासन को भेजी है। गोमती नगर पुलिस चुनाव में व्यस्त थी। गोमती नगर इंस्पेक्टर केके तिवारी ने बताया कि लविप्रा के भूखंड घोटाले में दो बाबू व एक चपरासी की भूमिका संदिग्ध है। उन्हें फोन करके थाने बुलाया गया था, लेकिन अभी तक सहयोग नहीं किया गया है। पहले पकड़े गए लोगों से कुछ तथ्य सामने आए हैं। यह स्पष्ट हो गया है कि लविप्रा से निलंबित चल रहे बाबू के अलावा एक और बाबू व चपरासी की भूमिका संदिग्ध है।

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