उत्तर प्रदेशराज्य

शराब-कांड को दबा रही सरकार

स्वतंत्रदेश,लखनऊ:रायबरेली के सरकारी ठेके में जहरीली शराब से मरे 12 लोगों के परिजनों, यहां तक कि उनके गांवों को भी अघोषित कैद दी गई है। उनका पहला गुनाह – उन्होंने सरकारी ठेके पर विश्वास कर वहां से शराब खरीदी। दूसरा गुनाह- वह गरीब हैं। तीसरा गुनाह- उनमें से अधिकतर सरकारी जाति के नहीं है। ऐसा हम नहीं, वहां के वे लोग बोल रहे, जो प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन करना चाहते हैं…डीएम से मिलना चाहते हैं, लेकिन पुलिस-प्रशासन ने उनको गांव में ही नजरबंद कर रखा है। हालांकि, वे लोग कैमरे पर बोलने में परहेज कर रहे हैं।

गांव में पुलिस फोर्स लगी है। लोगों को घरों से बाहर नही निकलने दिया जा रहा है।
गांव में पुलिस फोर्स लगी है। लोगों को घरों से बाहर नही निकलने दिया जा रहा है।

45 लोग अभी भी जिला अस्पताल रायबरेली में एडमिट हैं, लेकिन सरकार अस्पताल के बंद कमरों में सिर्फ कागज काले कर रही है।
शराब के जिस दुकान मालिक धीरेंद्र सिंह और उसके सेल्समैन के खिलाफ FIR की गई वह वारदात के बाद से फरार हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस की मिलीभगत से उसे भगवाया गया है। कुछ तो यह भी बता रहे हैं कि वह ठाकुर है इसलिए उसे भागने का मौका दे दिया गया। सरकार किस कदर इतनी बड़ी घटना पर मिट्टी डालने में लगी है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गांव के लोग सड़क पर आकर बवाल न कर सकें, इसके लिए इन्हें घरों में कैद कर लिया गया है। पैरामिलिट्री और पुलिस फोर्स ने हर उस घर को घेर रखा है जहां मौत हुई है।
 जहरीली शराब से मरने वाले रामसुमेर की 36 वर्षीय पत्नी रीना कहती हैं कि मेरे आदमी को शराब में जहर मिलाकर दी गई है, अब या तो मुझे और मेरी दो बेटियों को गोली मार दी जाए या मुझे कोई मदद दी जाए। मैं अपने दो बच्चों को कहां से कमाकर खिलाउंगी। रीना कहती है कि शराब बेचने वाले को फांसी दी जाए क्योंकि उसने दारू पिला-पिला कर सभी का भविष्य खराब कर दिया है।

जिंदगी गांव में कैद, बाहर नही निकल पा रहें लोग
गांव के लोग बता रहे हैं कि धीरेंद्र सिंह घर में शराब बनाता था। खुद ही उसमें केमिकल मिलाता था। यह बात सब लोग जानते थे, लेकिन ये शराब पीने से कभी किसी की मौत नहीं हुई थी। गांव के लोग धीरेंद्र की गिरफ्तारी और मुआवजे की मांग को लेकर डीएम से मिलना चाहते हैं, लेकिन फोर्स उन्हें गांव से बाहर नहीं निकलने दे रही है।

मृतक जितेंद्र सिंह के भाई आशीष सिंह बताते हैं कि हम धरना प्रदर्शन के लिए गांव से बाहर जा रहे थे, लेकिन फिर डीएम साहब का फोन आया और हमें रोका गया। हमें बताया गया कि डीएम साहब गांव आएंगे। डीएम ने हमें फोन पर हर बात का आश्वासन दिया है।

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