क्लीनिक न खोल सका रेलवे
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच ट्रेनों में सफर कर रहे बीमार यात्रियों के उपचार के लिए रेलवे की अपने स्टेशन पर क्लीनिक खोलने की योजना कागजों पर ही रह गई। उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल प्रशासन दो साल में चारबाग स्टेशन पर अपनी क्लीनिक नहीं खोल सका। अब जबकि कोरोना का संक्रमण भी बढ़ रहा है। रेलवे यूनियन की ओर से मंडल प्रशासन को क्लीनिक खोलने के आदेश को मूर्त रूप देने की मांग उठने लगी है।
दरअसल, चारबाग रेलवे स्टेशन से सामान्य दिनों में प्रतिदिन लगभग 280 ट्रेनें गुजरती हैं। इन ट्रेनों से एक लाख से अधिक यात्री सफर करते हैं। आए दिन चलती ट्रेन में यात्रियों की तबियत बिगड़ने पर कंट्रोल रूम से जानकारी चारबाग स्थित मंडल रेल अस्पताल को दी जाती है। जिससे वहां आन डयूटी इमरजेंसी में तैनात डाक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ को अस्पताल से चारबाग स्टेशन आना पड़ता है। कई बार देर से सूचना मिलने पर बीमार यात्री को लखनऊ में उपचार भी नहीं मिल पाता है। ऐसे मामले सामने आने पर रेलवे बोर्ड ने मंडल प्रशासन को एक क्लीनिक चारबाग स्टेशन पर खोलने के आदेश दिए थे।
रेलवे बोर्ड के आदेश के बाद मंडल प्रशासन की ओर से इंडोर रेलवे अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को क्लीनिक खोलने और डाक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती के लिए पत्र लिखा था। अस्पताल प्रशासन की ओर से क्लीनिक खोलने की संस्तुति की गयी। इसके कुछ दिन बाद कोरोना का प्रभाव शुरू हो गया। कोरोना की पहली लहर थमने के बाद भी क्लीनिक खोलने की दिशा में कोई काम नहीं हुआ। अब भी स्टेशन पर क्लीनिक खोलने का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में पड़ा है।