उत्तर प्रदेशराज्य

सहजन का नया प्रयोग

स्वतंत्रदेश,लखनऊ:आम तौर पर सहजन के पेड़, पत्ती, जड़, बीज व फल को दवाइयों का भंडार कहा जाता है। यानी कैंसर, शुगर से लेकर विभिन्न तरह के वैक्टीरिया से लड़ने में भी यह काफी फायदेमंद है। अब इसका का प्रयोग कोरोना की जांच करने, उसकी रोकथाम और उपाय के लिए भी किया जाएगा। विज्ञानियों का दावा है कि 15 मिनट में इसके जरिये कोरोना संक्रमित होने या न होने का पता लगाया जा सकता है। अब इसके लिए राज्य सरकार की रिसर्च एंड डेवलपमेंट योजना के तहत लखनऊ विश्वविद्यालय के बायो केमेस्ट्री विभाग की शिक्षिका डा.कुसुम यादव को एक शोध प्रोजेक्ट मिला है। इसमें एरा मेडिकल यूनिवर्सिटी की डा. रुमाना अहमद भी सह अन्वेषक के रूप में काम करेंगी। शोध कार्य के लिए 4,05,000 रुपये का बजट स्वीकृत हुआ है। जल्द ही यह शोध कार्य शुरू हो जाएगा।

आम तौर पर सहजन (मोरिंगा) के पेड़ पत्ती जड़ बीज व फल को दवाइयों का भंडार कहा जाता है।

खोज’ विषय पर आधारित शोध प्रोजेक्ट की मुख्य अन्वेषक डा. कुसुम यादव ने बताया कि सहजन को मिरैकल प्लांट भी कहा जाता है। इसमें नेचुरल फाइटो केमिकल कंपोनेंट अधिक होता है। यह बेक्टीरिया से लेकर कई बीमारियों से लड़ने में मददगार है। सहजन के खाने से आयरन की कमी दूर की जा सकती है। पानी को साफ करने में भी यह उपयोगी है। इसमें पाए जाने वाले केमिकल वायरस के खिलाफ काम करते हैं।  डा. कुसुम यादव के मुताबिक प्रोजेक्ट तैयार करने पहले ही इसका प्रारंभिक अध्ययन करके यह देख चुके हैं। कंम्यूटेशनल मैथेड के जरिए बंधन एफिनिटी देखी जाएगी।

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