उत्तर प्रदेशराज्य

जमीन के इंतजार में बीत गए चार साल

 स्वतंत्रदेश,लखनऊ:एक वर्ष बीत जाने के बाद भी लखनऊ में बिजली महकमा दो नए बिजली उपकेंद्र नहीं बनवा सका। पिछले चार साल से गोमती नगर में दो नए उपकेंद्र बनाने की कवायद चल रही है। पहले बिजली विभाग के काबिल अभियंताओं की टीम जमीन नहीं खोज पायी। जब जमीन मिली तो लविप्रा से कब्जा आज तक नहीं ले पायी। क्योंकि बिजली विभाग का कोई भी वरिष्ठ अधिकारी इस प्रोजेक्ट में विशेष रुचि नहीं लेना चाहता। इसलिए प्राेजेक्ट आज तक गति नहीं पकड़ सका। दिसंबर 2020 में लखनऊ विकास प्राधिकरण की बोर्ड मीटिंग में जमीन देने का प्रस्ताव पास हो चुका है, तब यह स्थिति है। कुल मिलाकर मई जून की गर्मी से इस बार गोमती नगर के आम और खास उपभोक्ता पसीने से तरबतर जरूर होंगे।

एक वर्ष बीत जाने के बाद भी लखनऊ में बिजली महकमा दो नए बिजली उपकेंद्र नहीं बनवा सका।

तत्तकालीन लविप्रा उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश ने दिसंबर 2020 में बोर्ड मीटिंग में प्रस्ताव लाकर जमीन देने का रास्ता साफ कर दिया था। करीब एक साल बीतने को आ गए, न बिजली विभाग के अफसरों ने विशेष रूचि दिखाई और न प्राधिकरण अफसरों ने। जमीन पर कब्जा लेना, उस पर नए बिजली उपकेंद्र का निर्माण कराना और फिर पूरी क्षमता या फिर ओवर लोडेड चल रहे बिजली उपकेंद्रों का बिजली लोड नए उपकेंद्र को विभाजित करने जैसी प्रकिया पूरी तरह से बाकी है। 

गोमती नगर खंड के अंतर्गत पांच उपकेंद्र हैं, जिनमें विश्वास खंड, ग्वारी, सहारा अस्पताल के पास, मंत्री आवास के पास व लोहिया पार्क के पास बने हैं। यह सभी बिजली उपकेंद्र अपनी पूरी क्षमता से चल रहे हैं। अगर कोई दो सौ किलोवॉट का कनेक्शन विश्वास खंड जैसे बिजली उपकेंद्र को देना पड़ जाए तो अभियंताओं को सोचना पड़ जाएगा कि आखिर कैसे दिया जाए। ऐसे में दो से तीन नए बिजली उपकेंद्र बनने बेहद जरूरी हैं।

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