मृतक कर्मचारी की पत्नी बन ले लिया भुगतान
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:यह उस महिला की कहानी है, जो मृतक सफाई कर्मचारी की फर्जी पत्नी बनकर नौकरी की चाहत के साथ ही नगर निगम के कोष पर नजर लगाए थी। उसका साथ भी नगर निगम के ही कुछ कर्मचारी दे रहे थे और भुगतान से जुड़ा मकसद भी पूरा हो गया, लेकिन आखिरकार हकीकत सामने आई तो मामला संदिग्ध पाया गया।
..बिन फेरे हम.. तेरे की इस कहानी में कई कर्मचारियों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है और वाल्दा लिपिक हिमांशु श्रीवास्तव को निलंबित कर दिया गया। नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा.एसके रावत से कार्यदायी संस्था जैसा काम वापस ले लिया गया है। कई अन्य पर भी कार्रवाई की तैयारी है।
नियमित सफाई कर्मी के रूप में उन्नीस अगस्त 2007 को राजू की नियुक्ति हुई थी। तीस जून 2007 को कार्यभार करने के बाद तीन साल की सेवा में तेरह मार्च 2010 को उसकी मौत हो गई थी। खुद को राजू की पत्नी बताते हुए किसी रेखा नाम की महिला ने पति की जगह नौकरी देने से लेकर भुगतान को लेकर नगर निगम में प्रार्थना पत्र दिया था। यह पत्र भी 27 जनवरी 2020 को दिया गया था। समय से भुगतान न होने रेखा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी और कोर्ट के आदेश का पालन न होने पर आवमानना याचिका दाखिल की थी
भुगतान की प्रक्रिया के दौरान नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी को पता चला कि रेखा ने मृतक राजू की फर्जी पत्नी बनकर यह खेल खेला है। मृतक आश्रित के तहत नौकरी देने के लिए रेखा ने वर्ष 2013 में आवेदन किया था। इस पर विभागीय जांच में पाया गया कि रेखा ने अपने पति का नाम सुजीत बताया था और इस मामला संदिग्ध होने से उसे नौकरी का लाभ नहीं मिल सका और सभी भुगतानों को भी रोक दिया गया था। सुपरवाइजर समेत अन्य की रिपोर्ट में रेखा के पति का नाम सुजीत बताया गया था।