पेपर 15 दिन पहले ही लीक हो गया
स्वतंत्रदेश ,लखनऊ:UP-TET लीक मामले में STF के हाथ कई बड़ी जानकारी लगी है। संजय उपाध्याय की प्रिटिंग कराने वाली कंपनी के डायरेक्टर राय अनूप से कई बार मुलाकात हुई। 3 बार लखनऊ व आखिरी बार नोएडा के एक होटल में। जिसकी CDR (कॉल डिटेल रिकॉर्ड) लोकेशन निकाल ली गई है।
गिरोह के सदस्यों ने प्रिंटिंग प्रेस में काम करने वाले कर्मचारियों को रुपए का लालच देकर पेपर हासिल कर लिया था।उन्होंने अलग–अलग प्रिंटिंग प्रेस से पेपर आउट कराने के बाद उसको बेचा था। ये बात भी सामने आई है कि पेपर प्रिंटिंग का काम करने वाली आरएसएफ फिनसर्व के पास वर्कआर्डर लेने वक्त पर्याप्त स्टाफ तक नहीं था। उसने आनन–फानन में नवंबर के पहले हफ्ते में कर्मचारियों को भर्ती करना शुरू किया था।
फिनसर्व के पास स्टाफ तक नहीं था मौजूद
संजय 1995 बैच के पीसीएस हैं। उन्होंने नई दिल्ली की आरएसएम फिनसर्व लिमिटेड उप्र टीईटी–2021 के प्रश्न पुस्तिका मुद्रण का वर्क आर्डर 26 अक्टूबर को दिया था। 13 करोड़ में 23 लाख पेपर छापने का ऑर्डर दिया गया था।
आरएसएम फिनसर्व के पास सुरक्षित प्रिटिंग प्रेस की कोई सुविधा नहीं थी, जिस कारण कंपनी ने चार अलग–अलग कंपनियों से सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर प्रश्न पत्रों के मुद्रण का कार्य कराया। इस दौरान आरएसएम फिनसर्व ने विभिन्न स्तरों पर गड़बड़ी की, जिसकी वजह से प्रश्न पत्र आउट हो गया और परीक्षा को रद्द करना पड़ा।
यूपी से सटे दिल्ली की कंपनियों को ही ऑर्डर मिला
शासन की ओर से निर्धारित एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसिजर) का पालन तक नहीं किया गया। शासन द्वारा निर्धारित मानकों के मुताबिक, ऐसी परीक्षाओं का पेपर राज्य से करीब 1 हजार किमी की दूरी पर छपवाना अनिवार्य है। जिस प्रिंटिंग प्रेस में पेपर छापा जाता है, वहां यह सुनिश्चित किया जाता है कि प्रिंटिंग का काम करने वाले कर्मचारी पेपर की भाषा से अनभिज्ञ हों।
प्रिंटिग प्रेस के सभी कर्मचारियों का सिक्योरिटी ऑडिट भी होता है। साथ ही, प्रेस में प्रवेश करते वक्त उनके सारे कपड़े बदलना और मोबाइल समेत सभी इलेक्ट्रानिक गैजेट्स को जमा कराना भी अनिवार्य होता है। प्रिंटिंग प्रेस को पूरी तरह सीसीटीवी की निगरानी में रखा जाता है, ताकि किसी भी तरह की गड़बड़ी होने पर दोषी व्यक्ति को चिह्नित किया जा सके। TET पेपर का वर्क आर्डर देने के दौरान इनमें से किसी भी नियम का पालन नहीं किया गया। यूपी से सटे दिल्ली की कंपनियों को ही पेपर प्रिंट करने का काम मिल गया और आखिरकार पेपर लीक भी हो गया।