36 वर्षों से निर्मल नहीं हो पाई ?
स्वतंत्रदेश,लखनऊ: छत्तीस वर्षों से निगरानी के बाद भी निर्मल नहीं हो पा रही गंगा नदी को लेकर राष्ट्रीय हरित अभिकरण की 29 नवंबर को की गई टिप्पणी ने सरकारी महकमों को कटघरे में खड़ा कर दिया है। इस टिप्पणी से मैली हो रही और कागजों में ही साफ हो रही अन्य नदियों की उम्मीदों को जगा दिया है। गंगा की सफाई के लिए आवंटित धन पर जवाबदेही तक मांगी गई है, लेकिन हकीकत में अन्य नदियों की सफाई में सिर्फ सरकारी धन को बहाया ही गया था।
गंगा की तरह ऐसा ही हाल लखनऊ की गोमती से लेकर अयोध्या से गुजरी सरयू के अलावा घाघरा, राप्ती और गोरखपुर के रामगढ़ ताल का भी है, जहां आज भी सीवर घुल रहा है। राष्ट्रीय हरित अभिकरण की फटकार के बाद जब नदियों की हकीकत से जुड़ी रिपोर्ट सामने आई तो अफसर कटघरे में खड़े नजर आए।
गोमती मे गिरता है 339 एमएलडी सीवरः
रिपोर्ट कहती है कि लखनऊ शहर में करीब 784 एमएलडी सीवर जनित होता है। इसमे से 445 एमएलडी के पांच एसटीपी ही संचालित हो रहे हैं। 120 एमएलडी क्षमता का एसटीपी दिसंबर 2022 तक तैयार हो पाएगा, जबकि तीस एमएलडी क्षमता का एसटीपी फरवरी 2023 तक तैयार होगा, जबकि 22 एमएलडी और 80 एमएलडी 85 एमएलडी क्षमता का एसटीपी प्रस्तावित है, जिसे वित्तीय मंजूरी का इंतजार है।
अयोध्या का सीवर घुल रहा सरयू मेंः
सरयू में ही गिर रहा 17 नालों का सीवर सरयू नदी लगातार मैली हो रही है। सरयू नदी का यह हाल अयोध्या में ही है। नगर विकास विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक सरयू नदी में 22 नाले जुड़े हैं, लेकिन इसमे पांच नाले ही टैप हैं और उसकी गंदगी एसटीपी में जा रही है।