दहेज लेने-देने वालों के घर में न करें शादी
स्वतंत्रदेश,लखनऊ । इस्लाम में महिलाओं के अधिकार, दहेज, बच्चों की परवरिश, शिक्षा एवं पर्दा समेत कई समाजी एवं मजहबी मुद्दों को लेकर रविवार को दरगाह मुबारक खां शहीद में महिलाओं का जलसा हुआ। इस दौरान महिलाओं ने मुकद्दस किताब कुरआन पर टिप्पणी करने वाले शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी की निंदा की।
साफ-साफ कहें न दहेज देंगे और न ही दहेज लेंगे
मुख्य वक्ता आलिमा शाइस्ता बलियावी ने कहा कि दहेज का प्रचलन समाज के लिए नासूर बनता जा रहा है। दहेज के लिए महिलाओं का उत्पीडऩ किया जा रहा है, उनपर जुल्म ढाया जा रहा है। वक्त आ गया है कि इस सामाजिक बुराइयों को जड़ से समाप्त किया जाए। जहां दहेज मांगा जाए वहां बहन-बेटियों की शादी हरगिज न करें। साफ-साफ कहें न दहेज देंगे और न ही दहेज लेंगे। विशिष्ट वक्ता आलिमा नूर फातिमा ने कहा कि तरक्की चाहिए तो शिक्षा से नाता जोडि़ए। शिक्षा के बिना कोई कौम तरक्की नहीं कर सकती।
बच्चों को दीनी व दुनियावी दोनों तरह की तालीम दिलाएं
उन्होंने कहा कि बच्चों को दीनी व दुनियावी दोनों तरह की तालीम दिलाए। साथ ही अच्छे संस्कार भी दें। उन्होंने कहा हमारे नबी मोहम्मद साहब समाज में औरतों को सम्मान एवं अधिकार दिए जाने के हमेशा पैरोकार रहे हैं। उन्होंने पिता की जायदाद में बेटियों को हक दिलाया। उनकी बातों पर हम सबको अमल करना चाहिए। इसी में सबकी बेहतरी है। आलिमा ताबिंदा खानम ने कहा कि मुसलमान बुराइयों को छोड़ कर अल्लाह एवं रसूल के बताए हुए रास्ते पर चलें। शादियों में फिजूलखर्ची पूरी तरह बंद किया जाए। दहेज और बरात ले जाने की प्रथा को समाप्त किया जाना चाहिए।