10 लाख रुपये लेकर आइपीएस अरविंद सेन ने दी थी व्यापारी को धमकी, एफआइआर
पशुपालन विभाग में टेंडर दिलाने के नाम पर करोड़ों रुपये के फर्जीवाड़े में आइपीएस अरविंद सेन पर शिकंजा कसता जा रहा है। पड़ताल के सामने आया है कि अरविंद सेन ने इन्दौर के व्यापारी को धमकाने के लिए 10 लाख रुपये लिए थे। गिरोह के सरगना आशीष राय ने दो बार के रकम बकायदा अरविंद सेन के खाते में जमा किए थे। पुलिस ने बैंक से खाते का ब्यौरा निकलवाकर इसकी पुष्टि कर ली है। इस प्रकरण में आइपीएस अरविंद सेन का नाम भी मुकदमे में बढ़ा दिया गया है। एफआइआर में नाम आने के बाद से अरविंद सेन फरार चल रहे हैं। पुलिस टीम का दावा है कि अरविंद सेन की तलाश की जा रही है
पुलिस ने आइपीएस के खिलाफ बरामद सभी साक्ष्य शासन को सौंप दिए हैं। अरविंद सेन के निलंबन के बाद अब शासन उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही की तैयारी कर रहा है। हाल में ही डीआइजी पीएसी आगरा के पद पर तैनात रहे अरविंद सेन को भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित किया गया था। अरविंद सेन वर्ष 2019 में सीबीसीआइडी में एसपी थे। इस दौरान आशीष व उसके साथी पीड़ित व्यापारी मंजीत सिंह भाटिया को लेकर अरविंद सेन के पास गए थे। वहां अरविंद सेन ने व्यापारी को टेंडर की जांच करने की बात कही थी। यही नहीं आइपीएस ने टेंडर में खामियां होने की बात बोलकर व्यापारी को धमकाया था और जेल भेजने की धमकी दी थी।
यह है मामला
पशुपालन विभाग के राज्य मंत्री के निजी सचिव और अन्य ने मिलीभगत कर व्यापारी को ठेका दिलाने के नाम पर 11 करोड़ रुपये हड़प लिए थे। इस फर्जीवाड़े में तथाकथित पत्रकारों समेत कुल 11 लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई गई थी। गिरोह के सरगना आशीष राय ने खुद को विभाग का निदेशक एसके मित्तल बताकर व्यापारी से मुलाकात की थी। साजिश में राज्यमंत्री के निजी सचिव धीरज कुमार, कार्यालय में तैनात उमेश मिश्र, खुद को पत्रकार बताने वाले संतोष मिश्र, एके राजीव, अनिल राय, फरीदाबाद अमेठी निवासी अमित मिश्र, कानपुर निवासी उमाशंकर तिवारी, राजधानी में रहने वाले रजनीश, सिपाही डीबी सिंह और मुंबई निवासी अरुण राय शामिल थे।