वर्ल्ड हार्ट डे स्पेशल
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:समय के साथ दिल की बीमारी के रिस्क फैक्टर भी बदलने लगे हैं। पहले जहां दिल की बीमारी बुजुर्गों को होती थी, अब युवा तेजी से चपेट में आ रहे हैं। देश के हर पांचवें व्यक्ति को दिल का मर्ज है। हर साल दो करोड़ मौतें दिल की बीमारी से होती हैं। इनमें 50 फीसद लोग 40 वर्ष से कम उम्र के होते हैं। विशेषज्ञ रोजमर्रा बढ़ते तनाव और शारीरिक श्रम में कमी को दिल की बीमारी बढऩे को मुख्य वजह मानते हैं।
लक्ष्मीपत ङ्क्षसहानिया हृदय रोग संस्थान (कार्डियोलाजी) के कार्डियोलाजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. एसके सिन्हा ने बताया कि संस्थान के निदेशक प्रो. विनय कृष्णा और कार्डियोलाजी विभागाध्यक्ष प्रो. रामेश्वर ठाकुर के निर्देशन में विश्व हृदय दिवस की स्वयं थीम तैयार की है, जो 20-80-100 (सतर्कता, सजगता और खुशमिजाजी) है। इसे अपना कर हर व्यक्ति स्वस्थ रह सकता है। दिल क्या, उनके पास कोई भी बीमारी नहीं फटकेगी। इन सुझावों को अपनाने से जागरूकता बढ़ेगी। अगर ऐसे पांच साल तक करते रहे तो लोग बीमारी से बचेंगे, सरकार के 10 हजार करोड़ रुपये की भी बचत होगी।