त्रिस्तरीय पंचायतों में महिलाओं ने रचा इतिहास
स्वतंत्रदेश,लखनऊ : उत्तर प्रदेश में इस बार त्रिस्तरीय पंचायतों में महिलाओं का वर्चस्व बढ़ा है। ग्राम प्रधान से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष तक के पदों पर महिलाएं अधिक संख्या में चुनाव जीतकर आईं हैं। इस बार ग्राम प्रधान के 58,176 पदों में से 31,212 पदों पर महिलाओं ने जीत हासिल की है। निर्वाचित प्रधानों में से 53.7 फीसद महिलाएं हैं, जबकि ग्राम प्रधान के 26,955 पदों पर पुरुष जीते हैं। यह पहला अवसर है, जब इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं ने पंचायत चुनावों में जीत हासिल की है।
उत्तर प्रदेश के 75 जिला पंचायत अध्यक्ष के पदों में से 42 पर महिलाओं ने कब्जा किया है। एक तिहाई आरक्षण में उनकी भागीदारी 24 पदों पर होती है। इन पदों पर महिला प्रतिनिधित्व 56 फीसद है। इसमें 33 पदों पर पुरुषों को जीत मिली है। क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष यानि ब्लाक प्रमुख चुनाव में कुल 825 पदों में से 447 पर महिलाएं जीतीं हैं। ब्लाक प्रमुख पदों पर महिलाओं की हिस्सेदारी भी 54.2 फीसद है। इसमें 378 पदों पर पुरुष जीते हैं।
यूं तो पंचायत चुनाव में महिलाओं का 33 फीसद आरक्षण है। किंतु इस वर्ष के चुनाव में महिला प्रतिनिधित्व 53.7 फीसद रहा है। प्रदेश के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं ने पंचायत चुनावों में जीत हासिल की है। महिलाओं की इस जीत के पीछे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा चलाए जा रहे महिला सशक्तीकरण अभियान व गांवों में कराए जा रहे विकास कार्यों की भूमिका बताई जा रही है।
राज्य निर्वाचन आयोग उत्तर प्रदेश से मिले आंकड़ों के अनुसार ग्राम प्रधान के 58176 पदों में से 31212 पदों पर महिलाओं ने जीत हासिल की। पंचायत चुनावों के नतीजों के अनुसार इस बार निर्वाचित प्रधानों में से 53.7 प्रतिशत यानी 31212 महिलाएं हैं। जबकि ग्राम प्रधान के 26955 पदों पर पुरुष जीते हैं। अखिलेश सरकार में 25809 महिलाएं ही ग्राम प्रधान का चुनाव जीती थी।
यूपी की 75 जिला पंचायतों के अध्यक्ष पदों में से 42 पर महिलाओं का कब्जा हुआ है, जबकि एक तिहाई आरक्षण कोटे के अनुसार उनकी हिस्सेदारी 24 पदों तक होती है। राज्य मंत्री स्तर वाले इन पदों पर महिला प्रतिनिधित्व 56 प्रतिशत है। जिला पंचायत अध्यक्ष के 33 पदों पर पुरुषों को जीत हासिल हुई है। अब पंचायतों के दूसरे अहम पद क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष यानि ब्लाक प्रमुखों की बात करें तो यहां पर भी महिलाएं आगे हैं।