इस वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण 10 जून को
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 10 जून को लगने जा रहा है। गुरुवार को दोपहर 1:43 बजे से शाम 6:41 बजे तक ग्रहण काल रहेगा। इस दिन दुनियाभर के कई देशों में रिंग ऑफ फॉयर का दुर्लभ नजारा भी दिखेगा। हालांकि यह ग्रहण भारत में कहीं नहीं दिखेगा। इस ग्रहण के दौरान चंद्रमा की परछाई सूर्य के 97 फीसद हिस्से को पूरी तरह से ढक लेगी। इस कारण कुछ समय के लिए सूरज की आकृति किसी हीरे की अंगूठी के जैसे दिखाई देगी। यह इस साल का दूसरा ग्रहण है। इससे पहले 26 मई को चंद्रग्रहण लगा था।
इस वर्ष 10 जून को ज्येष्ठ अमावस्या तिथि पर सूर्यग्रहण लगने जा रहा है। यह खगोलीय घटना तब होती है जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में आ जाते हैं। यह सूर्यग्रहण वृष राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लगेगा। भारत में दिखाई न देने के कारण ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा। ऐसे में आपको कोई उपाय करने की जरूरत नहीं है। ग्रहण काल में सूतक का विचार किया जाता है। इस दौरान कई कार्यों को करने की मनाही होती है। ग्रहण काल में मंदिरों के कपाट बंद हो जाते हैं, पूजा पाठ एवं अन्य प्रकार के मंगल अनुष्ठान रुक जाते हैं।
इस सूर्य ग्रहण को खंडग्रास, रिंग ऑफ फायर और वलयाकार सूर्य ग्रहण कहा जा रहा है। वलयाकार स्थिति में चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, लेकिन उसका आकार पृथ्वी से देखने पर इतना नजर नहीं आता कि वो सूर्य को पूरी तरह ढक सके, तो ऐसी स्थिति को वलयाकार ग्रहण कहा जाता है। वलयाकार सूर्य ग्रहण में चंद्रमा के बाहरी किनारे पर सूर्य एक चमकदार रिंग यानि एक अंगूठी की तरह नजर आता है। ठीक ऐसा ही नजारा आकाश में दिखाई दे सकता है।
ज्योतिषियों के अनुसार इन सामान्य बातों का रखें ध्यान…
- जब ग्रहण शुरू हो रहा हो, तो उस समय से पहले ही स्नान करके साधना करनी चाहिए।
- मोक्ष के उपरांत स्नान करके दान करना चाहिए।
- सूर्यग्रहण काल में भगवान सूर्य की और चंद्रग्रहण चंद्रदेव की उपासना श्रेयस्कर मानी गई है।
- पका हुआ अन्न, कटी हुई सब्जी ग्रहणकाल में दूषित हों जाते हैं, उन्हें नहीं रखना चाहिए ।
- तेल, घी, दूध, पनीर, आचार, चटनी व मुरब्बा सहित अन्य खाद्य पदार्थ में तुलसी की पत्ती रखनी चाहिए।
- ग्रहणकाल में मूर्ति स्पर्श नहीं करना चाहिए।
- बुजुर्ग, रोगी, बालक एवं गर्भवती को जरूरी हो तो दवा देनी चाहिए। गर्भवती अपने घर को गेरू से गोठ सकती हैं। गर्भवती को पेट को भी गेरू से गोठना चाहिए।