रोडवेज बस यात्रा के समय रहें सावधान
स्वतंत्रदेश, लखनऊ: त्योहार सिर पर है लेकिन परिवहन निगम के बेड़े में 400 ऐसी बसें हैं जिनमें खस्ताहाल बैटरी लगी हैं। इस वजह से ये बसें धक्का परेड हैं। इन गाडिय़ों को डिपो से निकलते वक्त ट्राली वाली हेल्पर बैटरी लगा स्टार्ट कर रूट पर तो भेज दिया जाता है लेकिन यह बसें कहां खड़ी हो जाएंगी पता नहीं,लंबी दूरी चलने पर अगर बस में लगी पुरानी बैटरी अलटरनेटर लगे होने से चार्ज हो गई तो ठीक, नहीं तो रास्ते में ही बस खड़ी हो गई। अगर मजबूरी का सफर करना है तो यात्रियों के पास सिवाए बसों को धक्का लगाने के और कोई रास्ता नहीं। त्योहारी सीजन में तमाम खस्ताहाल बसों के सहारे ही होलिकोत्सव पर्व निपटाने की नाकाम कोशिशें की जा रही हैं।
बैटरी और टायर की किल्लत से जूझ रहे डिपो: प्रदेश के रोडवेज बेड़े में 9,400 बसें हैं। इनमें से बड़ी संख्या में 300 बसें ऑफरोड हैं। सरिंडर बसों को इनमें जोड़ दिया जाए तो 224 बसें और इनमें और जुड़ जाएंगी और संख्या 524 हो जाएगी। ये सभी बसें बैटरी और टायर की कमी के कारण खड़ी हैं। इसके अलावा 400 बसें धक्का परेड हैं जो हेल्पर बैटरी की मदद ले स्टार्ट होकर डिपो से रूट के लिए निकलती हैं। रामभरोसे चलने वाली यह गाडिय़ां भी सड़क पर कब लोगों के लिए मुसीबत खड़ी कर दे कहना मुश्किल है।
लखनऊ रीजन के 580 बसों में से 50 कर रही बैटरी का इंतजार: लखनऊ रीजन के बेड़े की 580 बसों में से 50 गाडिय़ां बैटरी का इंतजार कर रही हैं। अधिकारी कहते हैं कि होली से पहले इनमें से कई बसें मार्ग पर आ जाएंगी। लेकिन कब सवाल पर क्षेत्रीय अफसर मौन साध जाते हैं।
दो साल बीत गए नहीं आईं नई बसें: बीते दो वर्षों से भी अधिक का समय बीत चुका है लेकिन नई बसें बेड़े में शामिल नहीं की जा सकी हैं। बेड़े की जो बसें दौड़ रही हैं उनमें से भी कई बदहाल हैं। कोरोना काल के दौरान बसों का बेड़ा नहीं बढ़ाया जा सका है।