जानिए उत्तराखंड के सीएम तीरथ सिंह रावत के बारे में
स्वतंत्रदेश,लखनऊ : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का राजनीतिक जीवन जितना शालीन व सरल है, उनका विवाह प्रसंग उतना ही रोचक। तीरथ, उत्तराखंड के रावत परिवार से हैं जबकि उनकी पत्नी रश्मि मेरठ के त्यागी परिवार से। यह विवाह वस्तुत: पहली नजर के प्यार का वह परिणाम था, जिसे अंजाम तक पहुंचाने के लिए तीरथ सिंह रावत को खासी मशक्कत करनी पड़ी थी।
दामाद तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री बनने से बेहद खुश हैं ..और भावुक भी। बुधवार को मेरठ से देहरादून रवाना होने से पहले उन्होंने तीरथ सिंह व रश्मि के विवाह पूर्व की जो कहानी सुनाई, वो बेहद दिलचस्प है। सुषमा त्यागी ने बताया कि बेटी रश्मि त्यागी कालेज के दिनों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में सक्रिय थीं। उन्हीं दिनों एक भाषण प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए वो आरजी पीजी कालेज की ओर से गाजियाबाद पहुंचीं थीं।
कार्यक्रम अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का था। रश्मि जब भाषण दे रही थीं, उस समय मंचासीन तीरथ सिंह की नजर उनपर पड़ी। सुषमा त्यागी हंसकर बताती हैं कि वो रश्मि को देखते रह गए, इसी बीच देखने और उठने की हड़बड़ी में तीरथ सिंह मंच पर ही थोड़ा फिसले और चोटिल भी हो गए थे। उस एक नजर में ही रश्मि को देखकर उनके दिल में प्यार आ गया, भाषण देने की शैली उनको भा गई, और खूबसूरती उनके दिल तक पहुंच गई थी।
तीरथ सिंह उस समय एबीवीपी में अहम पद पर थे, लिहाजा बाद में उन्होंने खुद ..और अपने परिचितों के माध्यम से भी रश्मि त्यागी के स्वजन तक विवाह करने की इच्छा पहुंचाई। रश्मि की मां और भाई उनकी शादी राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले लड़के से नहीं करना चाहते थे। यह बात अलग है कि रश्मि कुछ समय तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में सक्रिय जरूर थीं लेकिन उन्हें भी राजनीति में भेजने का इरादा किसी का नहीं था, लिहाजा बात अटकी रही। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह की सास ने बताया कि ..कुछ समय बाद तीरथ सिंह का नाम उत्तर प्रदेश विधान परिषद (एमएलसी) के लिए नामित हो गया मगर तीरथ सिंह ने रश्मि से विवाह की चाह नहीं छोड़ी। उन्होंने परिवार से फिर संपर्क किया। अंतत: रश्मि के परिवार ने इसे भगवान की इच्छा मानते हुए स्वीकार कर लिया और अंतत: तीरथ सिंह की मशक्कत रंग लाई। नौ दिसंबर सन 1998 में दोनों का विवाह हो गया। रश्मि अब देहरादून में ही प्रोफेसर हैं।
रश्मि के दादा थे क्रांतिकारी, 52 बार गए थे जेल
स्वजन ने बताया कि अंग्रेजी शासनकाल में रश्मि के दादा वेदप्रकाश त्यागी 52 बार जेल गए। रश्मि त्यागी के चाचा अशोक त्यागी ने बताया कि पिताजी का आजादी की लड़ाई में अहम योगदान था। क्षेत्र में लोग उन्हें मिनी गांधी के नाम से जानते थे। देश आजाद होने के बाद वह कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे। आज भी खरखौदा में उनका परिवार कांग्रेस पार्टी से जुड़ा है। करीब 35 वर्ष पूर्व रश्मि के दादा की हापुड़ जनपद के बक्सर में सड़क हादसे में मौत हो गई थी।