जमीदोज हो सकती है लाल बारादरी
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:शिक्षक और छात्र संघ की राजनीति का प्रमुख स्थान रही लखनऊ विश्वविद्यालय में लाल बारादरी कभी भी जमीदोज हो सकती है। सैकड़ों साल का इतिहास समेटे इस बारादरी में बने कमरों की छत पहले ही भी गिर गई थी। अब दीवारों ने भी साथ छोड़ दिया है।
लविवि में स्थापित लाल बारादरी सन 1800 के आसपास की है। शारीरिक शिक्षा विभाग के शिक्षक डा. नीरज जैन बताते हैं कि इस बारादरी का इतिहास व किस्से काफी दिलचस्प है। जब बादशाह नासिरूद्दीन हैदर ने अपने पिता की इच्छा के अनुरूप गोमती मैया के उत्तरी तट पर बादशाह बाग बनवाया तो इसके साथ ही उन्होंने कई इमारतें भी बनवाईं थीं। इन्हीं में से एक इमारत ‘मुबारक मंजिल’ भी थी। उस समय बादशाह बाग की यह बारादरी मुबारक मंजिल का हिस्सा हुआ करती थी।
सैकड़ों साल पुरानी इस बारादरी में 1978 में कैंटीन भी चलती थी, जहां बैठक कर छात्र संघ की राजनीति पर चर्चा होती थी। अब धीरे-धीरे यह बाराबरी पूरी तरह से जर्जर हो गई है। दीवारों ने भी एक दूसरे का साथ छोड़ना शुरू कर दिया है।
उग आईं झाड़ियां और जंगली पेड़
कामर्स विभाग की ओर से जाने वाले मोड़ पर लाल बारादरी की दीवार एक ओर झुक गई है, जो कभी भी गिर सकती है। बारादरी के अंदर बड़ी-बड़ी झाड़ियां और जंगली पेड़ उग आए हैं।