उत्तर प्रदेशराज्य

ताजा हो रहीं चौरी चौरा कांड की स्मृतियां

स्वतंत्रदेश,लखनऊ :संस्कृति विभाग उप्र द्वारा स्वाधीनता संग्राम के अंतर्गत पांच फरवरी 1922 को गोरखपुर में हुए चौरी-चैारा कांड की स्मृतियों को ताजा करते हुए प्रदेश स्तर पर चौरी-चौरा गीत प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। चार फरवरी 2021 से प्रारम्भ होकर पूरे एक वर्ष तक चलने वाले इस चौरी-चौरा महोत्सव में विभिन्न गतिविधियां होंगी। इसी कड़ी में संगीत नाटक अकादमी द्वारा भी प्रतियोगिता कराई गई।

चौरी-चौरा महोत्सव चार फरवरी 2021 से प्रारम्भ होकर पूरे एक वर्ष तक चलेगा चौरी-चौरा महोत्सव। पांच फरवरी 1922 को गोरखपुर में हुए चौरी-चैारा कांड की स्मृतियों को करेगा

 

अकादमी की ओर से गठित विशेषज्ञों की समिति ने वाराणसी के चन्द्रशेखर गोस्वामी को प्रथम विजेता चुना। प्रथम पुरस्कार विजेता को 51 हजार रुपये का पुरस्कार प्रदान दिया जाएगा। चौरी-चौरा कांड पांच फरवरी 1922 को ब्रिटिश भारत में गोरखपुर जिले के ग्रामों चौरी चौरा में घटा था, जब असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाले प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा समूह पुलिस के साथ भिड़ गया था। जवाबी कार्रवाई में प्रदर्शनकारियों ने हमला किया और एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी थी। महात्मा गांधी ने विदेशी कपड़ों के बहिष्कार, अंग्रेजी पढ़ाई छोड़ने और चरखा चलाकर कपड़े बनाने का आह्वान किया था। उनका यह सत्याग्रह आंदोलन पूरे देश में रंग ला रहा था। चार फरवरी 1922 दिन शनिवार को चौरी-चौरा के भोपा बाजार में सत्याग्रही इकट्ठा हुए और थाने के सामने से जुलूस की शक्ल में गुजर रहे थे। तत्कालीन थानेदार ने जुलूस को अवैध मजमा घोषित कर दिया। एक सिपाही ने सत्याग्रही की गांधी टोपी को पांव से रौंद दिया। गांधी टोपी को रौंदता देख सत्याग्रही आक्रोशित हो गए।

प्रतियोगिता में इन घटनाओं को थीम सांग की तरह काव्य में ढालकर इस तरह प्रस्तुत करना था कि इस काण्ड में शहीद हुए बलिदानियों की गौरव गाथा लोगों के सामने आ सके। प्रतियोगिता के लिए विभिन्न जिलों से लगभग 40 प्रविष्टियां विभाग को प्राप्त हुईं।

संगीत नाटक अकादमी के सचिव तरुण राज ने बताया कि अकादमी सभागार में टीवी स्क्रीन पर देखकर और रचनाओं की पाण्डुलिपि प्रतियों के आधार पर गठित निर्णायक समिति ने फैसला किया। अकादमी द्वारा गठित समिति में निर्णायकों के तौर पर आकाशवाणी से जुड़े वरिष्ठ संगीतकार केवल कुमार व गजल गायक उस्ताद युगांतर सिंदूर, लोक कलाविद डा.विद्याविंदु सिंह, वरिष्ठ गायक धर्मनाथ मिश्र व भातखण्डे संगीत संस्थान समविश्वविद्यालय के गायन विभाग की अध्यक्ष डा.सृष्टि माथुर शामिल थीं।

Related Articles

Back to top button