नहीं थम रहा साइबर अपराध
स्वतंत्रदेश ,लखनऊ: राजधानी में पुलिस आयुक्त प्रणाली को लागू हुए एक साल पूरे हो गए। इस दौरान लखनऊ को कई सौगातें मिलीं। हालांकि, अपराध पर नकेल नहीं कसा जा सका। साइबर अपराध की भरमार रही। करीब एक साल में 2750 साइबर अपराध के मामले साइबर क्राइम सेल में आए। हत्या और डकैती की घटनाओं ने लोगों को डराया तो गैंगवार की दस्तक ने सवाल खड़े किए। 13 जनवरी 2020 को मुख्यमंत्री ने राजधानी को पुलिस आयुक्त प्रणाली की सौगात दी थी। इसके अलावा नोएडा में ही पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू किया गया था।
अपराध में कमी, लेकिन कोरोना भी प्रमुख वजह
आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2019 की अपेक्षा अपराध में कमी आई है। कोरोना काल में लॉकडाउन को भी इसका कारण माना जा रहा है।
बदमाशों ने पार की दस करोड़ की संपत्ति
एक साल में बदमाशों ने करीब 10 करोड़ की संपत्ति पार कर दी। हालांकि, यह आंकड़ा वर्ष 2018 में 15 करोड़ और 2019 में 17 करोड़ का था।
घटनाएं जो चर्चा में रहीं
पुलिस आयुक्त प्रणाली के लागू होते ही हजरतगंज में रणजीत बच्चन हत्याकांड ने पुलिस को चुनौती दी। वजीरगंज में डकैती, गोमतीनगर विस्तार में छात्र की चाकू मारकर हत्या, थाने की लॉकअप में युवक की मौत, बद्री सर्राफ के मालिक को गोली मारने, जहरीली शराब से चार लोगों की मौत, चिनहट में लूटपाट, विभूतिखंड में डकैती, मोहनलालगंज व्यापार मंडल अध्यक्ष की हत्या और अजीत ङ्क्षसह हत्याकांड।