उत्तर प्रदेशलखनऊ

लखनऊ में प्रतिबंधित मांझा बेचने वालों का बहिष्कार

स्वतंत्रदेश,लखनऊ । मानवर, लच्छेदार, तौकिया, दो पन्नी, चर खनिया, आड़ी, मझोली, सवा की तीन, पौना व गेंददार। ये नाम शहर-ए-लखनऊ की पतंगों का है। आसमानी जंग में अपनी अदाओं से लाेगों को अपनी ओर खींचने वाली इन पतंगों पर चाइनीज मांझे का कलंक लग गया है। पतंगबाजी के शौकीन जहां इस कलंक से परेशान हैं तो इनके कारोबारी ऐसे मांझे को बेचने वालों का बहिष्कार कर रहे हैं। पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर इस परपंरा को बचाने की जुगत में सभी पसीना बहा रहे हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न अटल बिहारी जयंती के अवसर पर पतंगबाजों की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि के साथ पुलिस प्रशासन से आम पतंग के कारोबारियों और उड़ाने के शौकीनों ने ऐसे अभियान में उनका साथ देने की बात कही है।

पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न अटल बिहारी जयंती के अवसर पर पतंगबाजों की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि के साथ पुलिस प्रशासन से आम पतंग के कारोबारियों और उड़ाने के शौकीनों ने ऐसे अभियान में उनका साथ देने की बात कही है तो दूसरी ओर आम कारोबारियों का सहयोग करने की विनती भी की है तो इस काले कारोबार में लिप्त हैं।

पुलों पर लगे तार तो रुकेगी दुर्घटना

राजेंद्रनगर के पतंगबाज संदीप शर्मा बताते हैं कि पेंच लड़ाने के साथ ही लूटी पतंग की बात ही कुछ और है।

खरीदकर पतंग उड़ाने से इतर लूटी पतंग उड़ाने का मजा ही कुछ अलग होता है। सरकार को पुलों पर तार बांधकर घटनाओं को रोक सकती है। पतंग कारोबारी नीरज रस्तोगी व विवेक अग्रवाल ने बताया कि कटी पतंग लूटने वाले का जलवा होता है। पतंग भले ही लूट में फट जाए, लेकिन जिसके हाथ लगती है, उसका सब सम्मान भी करते थे। दीपावली के दूसरे दिन में पतंग उड़ाने की सदियोें पुराना चलन चला आ रहा है

Related Articles

Back to top button