रोजगार के साथ संवार रहे पारंपरिक कला
स्वतंत्रदेश ,लखनऊ:कहते हैं यदि आपके अंदर कुछ करने का जज्बा है तो मंजिल मिल ही जाती है। पारंपरिक जूट से सजावटी के साथ ही रोजमर्रा की जरूरत की चीजों का निर्माण कर इंदिरानगर के शैलेंद सिंह ने न केवल आर्थिक रूप से कमजोर को रोजगार दिया बल्कि पारंपरिक कला को जीवंत कर भारतीय संस्कृति को बचाने का भी काम किया। डालीबाग के उप्र खादी एवं गामोद्योग बोर्ड परिसर के खादी मार्ट के प्रथम तल पर जूट के बने उत्पादों जैसे पर्दे, कुशन कवर, बै्र, चादर व बांस की बोतल समेत कई प्रकार की सामग्री लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है।
जिंदगी में समृद्धि की मिठास
मोबाइल मधुमक्खी पालन की विधि के साथ किसानों को शहद उत्पादन से जोड़ने वाले डा.नितिन सिंह भी लोगों की जिंदगी में शहद की मिठास घोल रहे हैं। जूट के बैग में पैक किए शहद के साथ ही युवाओं के जीवन में समृद्धि ला रहे हैं। खादी और ग्रामोद्योग आयोग की ओर से उन्हें मधुमक्खी पालन के प्रशिक्षण की जिम्मेदारी भी दी गई है। माटी कला बोर्ड की ओर से लगी माटी कला प्रदर्शनी में मिट्टी के बने उत्पादों के साथ ही दीपक और श्री गणेश लक्ष्मी की मूर्तियां भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।
खादी प्रदर्शनी का समापन नौ को
स्वदेशी झालर के साथ ही खादी उत्पादों की चारबाग के बाल संग्रहालय मैदान में चल रही प्रदर्शनी का समापन नौ नवंबर को होगा। खादी और ग्रामोद्योग आयोग के सहायक निदेशक एके मिश्रा ने बताया कि रविवार को आवकाश के चलते अधिक भीड़ हाेगी जिसे देखते हुए खास इंतजाम किए गए हैं। निदेशक डीएस भाटी भी दुकानदारों से बातचीत के लिए आएंगे।