सचिवालय में नौकरी दिलाने के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाले को दबोचा
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:एसटीएफ ने सचिवालय समेत अन्य सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह का राजफाश किया है। गोमतीनगर पुलिस की मदद से एसटीएफ ने गिरोह के छह लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपित बेरोजगार युवक-युवतियों को झांसे में लेकर सरकारी विभागों में नौकरी के अनुसार एक लाख से 15 लाख रुपये तक वसूलते थे।
प्रभारी एसटीएफ विशाल विक्रम सिंह के मुताबिक आरोपितों ने बीएसएन इन्फोटेक नाम से एक कंपनी बना रखी थी। विपुल खंड दो से आरोपित कंपनी संचालित करते थे। राजाजीपुरम निवासी विशाल प्रजापति ने गोमती नगर थाने में सिद्धनाथ शाह व उसके अन्य साथियों के खिलाफ जालसाजी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। आरोपितों ने विशाल से सचिवालय में संविदा पर नौकरी दिलवाने के नाम पर 25 हजार रुपये एडवांस में लिया था। यही नहीं विशाल और उसके दोस्त अनुराग से अयोध्या नगर निगम में भी संविदा पर नौकरी दिलवाने के नाम पर 10 हजार वसूले थे। सचिवालय में नौकरी दिलवाने के लिए आरोपितों ने 15 लाख रुपये की मांग की थी। वहीं अयोध्या नगर निगम में संविदा पर 50 हजार रुपये में नौकरी दिलाने का झांसा दिया था।
अलग अलग पदों के तय थे रेट
पूछताछ में सिद्धनाथ शाह ने बताया कि वह युवक-युवतियों को झांसे में लेकर नौकरी दिलाने की बात कहते थे, जिनसे वसूली लेने का काम विकास करता था। इसके बाद धीरज, जितेंद्र और दूधनाथ युवक युवतियों की मीटिंग राकेश कुमार त्रिपाठी से कराते थे। आरोपितों ने सरकारी विभाग में पद के हिसाब से रेट तय किए थे। चतुर्थ श्रेणी में संविदा पर नौकरी के लिए 50 हजार से एक लाख, लिपिक/कंप्यूटर ऑपरेटर के लिए दो से तीन लाख तथा सचिवालय में समीक्षा अधिकारी के लिए 15 लाख रुपये मांगे जाते थे। टोकन मनी के रूप में आरोपित पीड़ितों से कुछ एडवांस रुपये ले लेते थे। इसके बाद युवक-युवतियों से व्हाट्सएप या ईमेल के जरिए एक आवेदन पत्र भेजकर भरवाते थे।
फर्जी साक्षात्कार भी करता था गिरोह
किसी को शक ना हो इसके लिए गिरोह बेरोजगार युवक-युवतियों के फर्जी साक्षात्कार भी करता था। इसके लिए बस्ती सिक्योरिटी के संचालक संतोष सिंह, गोरखा इन्फोटेक के संचालक राजू पटेल और बीएसएन इन्फोटेक के संचालक राकेश कुमार त्रिपाठी अपनी कंपनी में युवक-युवतियों के फर्जी साक्षात्कार की व्यवस्था करते थे। कुछ दिन बीतने पर आवेदकों को फर्जी नियुक्ति पत्र थमा दिया जाता था