लखनऊ मेट्रो चारबाग-बसंत कुंज कॉरिडोर को मिली मंजूरी
स्वतंत्रदेश ,लखनऊकरीब आठ साल का लंबा इंतजार खत्म हुआ। आखिरकार लखनऊ में चारबाग से बसंत कुंज तक मेट्रो दौड़ाने का रास्ता साफ हो गया है। बुधवार को दिल्ली में हुई पब्लिक इनवेस्टमेंट बोर्ड (पीआइबी) की बैठक में दूसरे चरण के प्रस्तावित ईस्ट-वेस्ट कारिडोर पर मेट्रो दौड़ाने के डीपीआर को वित्तीय स्वीकृति मिल गई है।

अब अगले 10 दिन के भीतर केंद्रीय कैबिनेट में इस प्रोजेक्ट को स्वीकृति मिल सकती है। उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कारपाेरेशन (यूपीएमआरसी) जरूरी सभी सर्वे पूरा करके दीपावली में धरातल पर मेट्रो के निर्माण के कार्य की शुरुआत कर सकता है।
लखनऊ में मेट्रो का संचालन अभी चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट से मुंशीपुलिया तक हो रहा है। इस कारिडोर पर प्रतिदिन लगभग 90 हजार यात्री यात्रा करते हैं। इसमें हजरतगंज आने वाले प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले , लवि और आइटी कालेज के छात्रों के अलावा सचिवालय, डीआरएम आफिस जैसे सरकारी कार्यालयों में सेवाएं देने वाले कर्मचारियों की संख्या अधिक है। ईस्ट-वेस्ट कारिडोर का विस्तार न होने के कारण यूपीएमआरसी को उसकी उम्मीद के मुताबिक यात्री नहीं मिल रहे हैं।चारबाग से बसंतकुंज तक कारिडोर शुरू होने पर केजीएमयू, चौक और दुबग्गा तक का बड़ा क्षेत्र मेट्रो सेवा से जुड़ जाएगा। तक दोनों कारिडोर से प्रतिदिन लगभग 2.50 लाख यात्री मेट्रो का सफर करेंगे। इससे चौक से लेकर चारबाग तक ई रिक्शा, आटो, टैंपो से लगने वाले जाम से लोगों को राहत मिल सकेगी।चारबाग से बसंतकुंज तक मेट्रो के विस्तार के लिए पिछले साल जनवरी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपीएमआरसी से 5801 करोड़ रुपये की लागत वाली योजना का डीपीआर सौंपने को कहा था। मार्च 2024 में हुई राज्य कैबिनेट में डीपीआर को स्वीकृति मिलने के बाद इसे तकनीकी जांच के लिए दिल्ली के नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप को भेजा गया था।ग्रुप ने जुलाई 2024 में तकनीकी पहलुओं की जांच के बाद अपनी स्वीकृति देते हुए पीआइबी के पास डीपीआर भेजा था। दो मई को पीआइबी की बैठक आयोजित की गई। लखनऊ से ईस्ट-वेस्ट कारिडोर के वित्तीय प्रबंधन से जुड़ी रिपोर्ट यूपीएमआरसी से मांगने के बाद इससे संबंधित सभी मंत्रालयों से उनकी सहमति के लिए उसे भेजा गया था।सभी मंत्रालयों से सहमति मिलने के बाद पीआइबी बैठक में डीपीआर को वित्तीय स्वीकृति मिलने का कार्यवृत्त जारी करते हुए इसे केंद्रीय कैबिनेट में भेजने का पत्र बुधवार को जारी कर दिया गया है। इस प्रोजेक्ट का 50 प्रतिशत खर्च केंद्र व राज्य सरकार मिलकर उठाएंगी। वहीं, शेष 50 प्रतिशत राशि का प्रबंध यूपीएमआरसी ऋण के माध्यम से करेगा।