उत्तर प्रदेशलखनऊ

यूपी की जेलों की बदलने वाली है सूरत, देखने को मिलेंगे कई बदलाव

 स्वतंत्रदेश,लखनऊजेल में किसी बड़ी घटना के बाद अब अधिकारी सुरक्षा में सेंध के लिए क्षमता से अधिक बंदियों का बहाना नहीं बना सकेंगे। प्रदेश में नई जेलों के निर्माण कार्याें ने उम्मीदें बढ़ाई हैं। आने वाले वर्षाें जेलों को ओवरक्राउडिंग से मुक्त करने के लिए एक लाख से अधिक बंदियों को निरुद्ध करने की क्षमता का लक्ष्य रखा गया है।जेल में किसी बड़ी घटना के बाद अब अधिकारी सुरक्षा में सेंध के लिए क्षमता से अधिक बंदियों का बहाना नहीं बना सकेंगे। प्रदेश में नई जेलों के निर्माण कार्याें ने उम्मीदें बढ़ाई हैं। आने वाले वर्षाें जेलों को ओवरक्राउडिंग से मुक्त करने के लिए एक लाख से अधिक बंदियों को निरुद्ध करने की क्षमता का लक्ष्य रखा गया है।

सात वर्षाें में छह नई जेलों का निर्माण कार्य पूरा कराकर 17,615 बंदियों को निरुद्ध करने क्षमता बढ़ाई गई है। वर्तमान में प्रदेश में 76 जेलों में 76,015 बंदियों को निरुद्ध किए जाने की क्षमता है। इनमें पांच केंद्रीय कारागार शामिल हैं। जबकि वर्तमान में जेलों में 90,639 बंदी निरुद्ध हैं। दिसंबर 2017 में जेलों में 58,400 बंदियों को रखने की क्षमता थी।दो वर्षाें में सात नई जेलों में कुल साढ़े आठ हजार बंदियों की क्षमता बढ़ेगी। पुरानी जेलों में नई बैरकों का निर्माण कराकर उनकी क्षमता भी बढ़ाई जा रही है। अगले एक वर्ष में 24 जेलों में 30 बंदियों की क्षमता वाले 57 नए बैरक बनवाने का लक्ष्य भी रखा गया है।वित्तीय वर्ष 2024-25 की कार्ययोजना के तहत 34 जेलों में 84 बैरकों का निर्माण भी दो से तीन वर्ष में पूरा कराने का लक्ष्य है। इनमें नई हाई सिक्योरिटी बैरकों का निर्माण भी हो रहा है। कारागार प्रशासन ने नई कार्ययोजना के तहत चार और नई जेलों के निर्माण का प्रस्ताव भी शासन को भेजा है।बागपत जेल में कुख्यात मुन्ना बजरंगी की हत्या की घटना हो या चित्रकूट जेल में गैंगवार। माफिया अतीक अहमद (अब मृत) के कारोबारी को जेल में बुलाकर पीटने की घटना हो या काल कोठरी के भीतर बंदियों की पार्टियों के प्रसारित होने वाले वीडियो पूरी व्यवस्था को कठघरे में खड़ा करते रहे।

सीएम ने क्या निर्देश दिए? 

मुख्यमंत्री योगी अादित्यनाथ ने नई जेलों के निर्माण व पुरानी जेलों में क्षमता विस्तार किए जाने का निर्देश दिया था। इस दिशा में हुए प्रयासों ने उप्र की जेलों की तस्वीर बदली है। कारागार कर्मियों के लिए कुख्यातों पर कड़ी नजर रखने के साथ ही बंदियों के बीच टकराव पर अंकुश लगाने की राह आसान हुई है।

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