काशी के हरिश्चंद्र घाट में खेली गई चिताभस्म से होली
स्वतंत्रदेश,लखनऊराग-विराग को एकाकार किए काशी नगरी में मृत्यु भी उत्सव है। यहां उत्सवी रंग महाश्मशान के घाटों पर भी नजर आता है। मान्यता है कि बाबा मशान नाथ भी भक्तों के हुड़दंग में उल्लासित होकर प्रतिभाग करते हैं। काशी को ही नहीं वरन पूरे विश्व को आशीर्वाद प्रदान करने करते हैं। भगवान शिव की नगरी काशी भी गौरा का गौना रंगभरी एकादशी पर होने के साथ उत्साह और उल्लास से भर गई।भगवान शिव ने भी अपने अड़भंगी गणों, मसानरमणा भूतों-प्रेतों के साथ जलती चिताओं से उठते धुएं औ चिता भस्म के गर्द-गुबार से होली खेलना आरंभ किया तो पूरा वातावरण नीलकंठ और मसान नाथ के स्वरूपों के स्वांग से रोमांचित हो उठा।
भगवान शिव के इस विकराल स्वरूप को देख भक्त हर-हर महादेव का उद्घोष गुंजाते रहे। बाबा की नगरी में मस्त मलंग उनके भक्तों की अघोरेश्वर संत कीनाराम मंदिर के सामने एकत्र होना आरंभ हुई। भूत-प्रेत, योगिनी, भैरव, रुद्र, कपाली, नरमुंड माला धारी खप्परवाली काली, गले में नाग लपेटे विशालकाय नंदी पर सवार महाकाल रूप धारी भगवान शिव का स्वांग करते कलाकार जब मुंह से आग की लपटें फेंकते, डमरू बजाते तांडव नृत्य करते चले तो उनके आगे-पीछे सभी भयावह रूप धारी गण कंपा देने वाले नृत्य करते चल पड़े।
मसाने की होली…
बैंड बाजों, ढोल ताशों व भयावत विचित्रताओं से भरी महाकाल रुद्र की यह बरात हरिश्चंद्र घाट पहुंची तो वहां जलती चिताओं के चारों ओर सभी फैल गए। फिर तो चिताओं से उठते धुओं के मध्य चिताओं की भस्म (राख) लेकर सबने उससे होली खेल संसार की नश्वरता का गूढ़ संदेश संपूर्ण विश्व को दिया।
डीजे बजाने को लेकर भिड़े दो पक्ष
चिता भस्म की होली में मारपीट हरिश्चंद्र घाट पर चिता भस्म की होली के दौरान दो पक्ष डीजे बजाने को लेकर भिड़ गए। पुलिस ने डीजे बंद करवाकर मामले को शांत करवाया। प्रभारी निरीक्षक भेलूपुर विजय कुमार शुक्ला ने बताया कि चिता भस्म की होली के बाद घाट पर दो पक्षों में मारपीट हुई थी। हालांकि, किसी भी पक्ष ने तहरीर नहीं दी है।