उत्तर प्रदेशराज्य

यूपी के इस जिले में करोड़ो का घोटाला

स्वतंत्रदेश ,लखनऊबिसरख गांव में अधिगृहित जमीन पर करीब 300 करोड़ रुपये का भूमि घोटाला सामने आया है। कॉलोनाइजरों ने प्राधिकरण अधिकारियों से मिलीभगत कर अधिगृहित जमीन पर विला बनाकर बेच दिए। बदले में प्राधिकरण अधिकारियों को आंख मूंदने के लिए मोटी रकम मिली। यह घोटोला पिछले तीन से चार वर्षों के दौरान हुआ।इसकी शिकायत तत्कालीन प्राधिकरण अधिकारियों से कई बार की थी। अधिकारियों ने कार्रवाई नहीं की तो ग्रामीणों ने इसकी शिकायत शासन से की। शासन ने प्राधिकरण को पत्र भेजकर अधिगृहित जमीन पर विला बनाने की जांच कराकर रिपोर्ट देने को कहा। प्राधिकरण अधिकारियों ने तब अपनी रिपोर्ट में अधिगृहित जमीन पर विला न बनने की बात कहकर कॉलोनाइजरों की मदद कर दी। ग्रामीणों ने फिर से इसकी शिकायत की।

शासन ने कड़ा रूख अपनाते हुए जांच कर रिपोर्ट देने को कहा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 24 दिसंबर को गौतमबुद्ध विश्व विद्यालय के दीक्षांत समारोह में ग्रेटर नोएडा आए थे। तब उन्होंने अवैध निर्माण पर कड़ी नाराजगी जताई थी। बताया जाता है कि बिसरख गांव के भूमि घोटला मुख्यमंत्री के संज्ञान में है, इसलिए उन्होंने एक माह में कार्रवाई के निर्देश दिए थे।

 निर्देश के बाद प्राधिकरण के मौजूदा अधिकारियों ने गोपनीय तरीके से जांच कराई तो आरोप सही पाए गए हैं। प्राधिकरण की जांच में पर्दाफाश हुआ है, एक खसरा नंबर की 90 बीघा जमीन में से करीब 70 बीघा जमीन अधिगृहित हुई थी। बीस बीघा जमीन आबादी के नाम पर छोड़ी गई। शेष जमीन बिल्डर परियाेजना के लिए आवंटित होने थी। प्राधिकरण की मौजूदा बिल्डर दर करीब 60 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर है।

बिल्डर को जमीन दी जाती तो बदले में प्राधिकरण को कम से कम कीमत 288 करोड़ मिलते, लेकिन इस जमीन को कॉलोनाजरों ने धोखे से अनजान लोगों को बेच दिया। उन्होंने अब अपने मकान बना लिए हैं। प्राधिकरण अब इन मकानों को ध्वस्त करने की योजना बना रहा है। जिन लोगों ने जमीन बेची, उनके विरूद्ध बिसरख कोतवाली में मामला दर्ज कराने की तैयारी हो गई है। उन पर गैंगस्टर की कार्रवाई भी हो सकती है।कॉलोनाइजरों के नाम भेज दिए गए हैं। शासन की मंजूरी मिलते ही बड़े स्तर पर कार्रवाई होगी। इसी तरह बिसरख के कई अन्य खसरा नंबर, जो अधिगृहित हो चुके हैं, उन पर भी कॉलोनी काट दी गई है। प्राधिकरण ने कॉलोनी काटने वालों की सूची बनाकर जमीन को कब्जा मुक्त कराने की तैयारी शुरू कर दी है। पुलिस कमिश्नर से फोर्स मांगने के लिए पत्र भेजा जाएगा।

कॉलोनाइजरों के विरूद्ध थाने में मामला दर्ज कराया जाएगा। इसकी कीमत भी करीब 200 करोड़ रुपये हैं। इससे पहले बिसरख गांव में हरनंदी के अंदर डूब क्षेत्र में प्राधिकरण द्वारा 300 करोड़ रुपये से खरीदी गई जमीन पर भी अवैध कालोनी काट दी गई। प्राधिकरण अधिकारियों को तब भी बदले में मोटी रकम मिली थी। प्राधिकरण अभी तक जमीन को खाली नहीं करा सका है।

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