अब धूल से बचने के लिए मास्क पहनें
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:कोरोना के तीन फेज गुजरने के बाद मास्क को अलविदा कहने वाले सतर्क हो जाएं। डॉक्टरों के अनुसार, कोरोना का खतरा अभी गया नहीं है। अब कोरोना के साथ हवा में उड़ती धूल फेफड़ों की जान की दुश्मन है। मेरठ सहित एनसीआर में तेजी से चल रहे निर्माण कार्यों के कारण हवा में धूल का प्रतिशत 48 फीसद हो गया है।
कोरोना के समय जो प्रोजेक्ट वर्क रुक गए थे, वो अब फिर शुरू हो गए हैं। सड़कों पर उठते ये धूल के गुबार कई घातक बैक्टीरिया को फैला रहे हैं। साथ ही ब्लड कैंसर, ब्रोनकाइटिस, अस्थमा, निमोनिया का रोगी बनाकर सांसें घटा रहे हैं।ग्लोबल बर्डेन ऑफ डिसीज की रिपोर्ट बताती है कि औद्योगिक चिमनियों, जनरेटरों, ईंट भठ्ठों, डीजल से चलने वाले पुराने वाहनों और प्लास्टिक कचरा जलाने से कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड, ओजोन, नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड, अमोनिया, कार्बन डाई ऑक्साइड जैसी खतरनाक गैसें फेफड़ों में पहुंचकर बीमार कर रही हैं।
वरिष्ठ छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. वीएन त्यागी के अनुसार, नॉर्थ इंडिया का पीएम लेवल बहुत ज्यादा है। इससे सांस लेने में दिक्कत आती है। ऐसे में मास्क बहुत जरूरी है। यह प्रदूषण, धूल और भारी हवा तीनों से बचाता है। मास्क हवा को फिल्टर कर उसकी हैवीनेस कम करके स्मूथ बनाता है इससे सांस लेने में अधिक ताकत नहीं लगानी पड़ती।
मास्क से हवा में मौजूद तमाम खराब बैक्टीरिया, पार्टिेकल मेटर, हैवी मेटल्स को बाहर ही रोक देता है, जो शरीर में अंदर नहीं पहुंचते और बीमार होने से बचाते हैं। सांस के रोगी, बुजुर्ग, मरीजों को शुद्ध हवा मिलती रहती है।