सख्त टिप्पणी के साथ सुनाई फांसी की सजा
स्वतंत्रदेश,लखनऊ:छह वर्ष की मासूम की दुष्कर्म के बाद हत्या करने वाले नातेदार मो. आसिफ खान को पाक्सो की विशेष अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। घटना के समय अभियुक्त आसिफ 19 वर्ष का था। वह पीडि़त बच्ची का मामा है। विशेष जज अरविंद मिश्र ने कहा है कि अभियुक्त की गर्दन में फांसी लगाकर उसे तब तक लटकाया जाए, जब तक कि उसकी मौत न हो जाए। उन्होंने इसके अपराध को विरल से विरलतम करार दिया है। उन्होंने अभियुक्त को दी गई फांसी की सजा की पुष्टि के लिए इस मामले की समस्त पत्रावली अविलंब हाईकोर्ट को भेजने का आदेश भी दिया है।
विशेष जज अरविंद मिश्र ने अभियुक्त आसिफ खान को आइपीसी की धारा 302 व 376 क सपठित पाक्सो एक्ट की धारा छह में भी मौत की सजा सुनाई है। उन्होंने अपने 83 पेज के फैसले में कहा है कि अभियुक्त के अपराध से पीडि़ता व उसके परिवार के साथ ही समाज को भी व्यापक क्षति हुई है। उसके अपराध से समाज में भय व अविश्वास पैदा हुआ है। लिहाजा उम्र कैद की सजा पर्याप्त नहीं होगी। बल्कि इस प्रकार के असामान्य प्रकृति के अपराध में अभियुक्त को मृत्यु दंड दिया जाना ही न्यायोचित होगा।
जज ने अपने फैसले में कहा है कि अभियुक्त ने दुष्कर्म के अपराध को छिपाने के लिए दूसरा जघन्य अपराध बच्ची की हत्या करके किया। जिससे समाज में लोग अपने छोटे-छोटे ब’चों की सुरक्षा को लेकर सशंकित रहने लगे हैं। इससे पूर्व अभियोजन की ओर से अभियुक्त को फांसी की सजा देने की मांग की गई। विशेष सरकारी वकील दुर्गेश नंदिनी श्रीवास्तव व लोक अभियोजक अभिषेक उपाध्याय एवं सुखेंद्र प्रताप सिंह का कहना था कि अभियुक्त द्वारा किया गया अपराध सामान्य अपराध नहीं है। इसके अपराध ने संपूर्ण मानवता को शर्मसार किया है। इसने नातेदार होने के बावजूद पांच वर्ष नौ माह 29 दिन की बच्ची के साथ ऐसी घटना की है कि कोई भी संबंधों पर विश्वास नहीं करेगा।
छह अप्रैल 2014 को हुई इस वारदात की एफआइआर मृत बच्ची के नाना ने थाना हसनगंज में दर्ज कराई थी। एफआइआर के मुताबिक उन्होंने एक दिन पहले अपनी नातिन को भांजे आसिफ के साथ आइसक्रीम लेने के लिए पैसे देकर भेजा था। इसके बाद वह गायब हो गई। परिवार के सभी लोग मोहल्ले में उसे ढूंढ रहे थे। रात्रि में करीब दो बजे उनका भांजा आसिफ बच्ची को गोद में लेकर आया। तब उन्होंने देखा कि बच्ची के दोनों हाथ बंधे थे और हाथ की नसें कटी थी।