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इस खास तरह की एसबीआई की एफडी की क्या हैं विशेषताएं

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) रीइन्वेस्टमेंट प्लान (reinvestment plan) नाम से एक प्रकार के फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की पेशकश करता है, जहां ब्याज का भुगतान केवल मैच्योरिटी के समय ही किया जाता है। चक्रवृद्धि ब्याज की गणना की जाती है इसमें नियमित ब्याज को मूलधन में जोड़ा जाता है और उसका भुगतान किया जाता है। यह सामान्य एफडी की तरह नहीं है, जहां ब्याज का भुगतान जमा की अवधि के दौरान नियमित आधार पर होता है। 

अवधि

एसबीआई रीइन्वेस्टमेंट प्लान में न्यूनतम छह महीने और अधिकतम 10 साल की अवधि के लिए निवेश किया जा सकता है।

योग्यता

इस एफडी में नागरिक अकेले या संयुक्त रूप से, नाबालिग (स्वयं या अपने अभिभावक के माध्यम से), एचयूएफ, फर्म, कंपनी, स्थानीय निकाय और कोई भी सरकारी विभाग खाता खुलवा सकता है।

निवेश की सीमा

एसबीआई रीइन्वेस्टमेंट प्लान में कोई व्यक्ति न्यूनतम 1,000 रुपये जमा करा सकता है। वहीं, खास बात यह है कि इसमें कोई अधिकतम सीमा नहीं है।

ब्याज दर

एसबीआई रीइन्वेस्टमेंट प्लान में ब्याज दरें फिक्स डिपॉजिट्स के समान ही हैं। इस प्लान में एसबीआई स्टाफ और एसबीआई पेंशनर्स को निर्धारित ब्याज दर से एक फीसद अधिक ब्याज दर प्रदान किया जाता है। इस प्लान में 60 साल या इससे अधिक आयु के सीनियर सिटीजंस को निर्धारित दर से 0.50 फीसद अधिक ब्याज दर प्रदान की जाती है।

आयकर

इस प्लान में आयकर नियमों के अनुसार, टीडीएस लागू होता है। आयकर नियमों के अनुसार, जमाकर्ता को कर छूट चाहने के लिए फॉर्म 15जी/एच सबमिट करना होता है।

प्रीमैच्योर निकासी

एसबीआई रीइन्वेस्टमेंट प्लान में प्रीमैच्योर निकासी की सुविधा उपलब्ध है। पांच लाख रुपये तक की रिटेल फिक्स डिपॉजिट पर प्रीमैच्योर निकासी के लिए जुर्माना 0.50 फीसद है। वहीं, पांच लाख से अधिक और एक करोड़ से कम की रिटेल एफडी के लिए  प्रीमैच्योर निकासी पर जुर्माना एक फीसद है।

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