आरटीपीसीआर घोटाले में कंपनी
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :संजय गांधी स्नात्कोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) व लोहिया संस्थान में हुए आरटीपीसीआर खरीद घोटाले में स्थानीय सप्लायर से लेकर मैन्युफैक्चरर थर्मो कंपनी व संस्थान के पर्चेजिंग अफसरों की मिलीभगत सामने आ रही है। हैरानी की बात है कि दोनों संस्थानों ने खरीदारी करने से पहले मशीनों की बेस प्राइस तक को जानना भी जरूरी नहीं समझा। अब मामला फंसने पर एसजीपीजीआइ का कहना है कि कंपनी बेस प्राइस नहीं बता रही है।
बता दें कि स्थानीय सप्लायर नेशनल साइंटिफिक प्रमोटर्स (एनएसपी) द्वारा जिस मशीन के लिए जीएसटी समेत 26 लाख 78 हजार 600 रुपये प्रति नग की दर से एसजीपीजीआइ व लोहिया संस्थान से वसूली की गई, उसी मशीन को दूसरे सप्लायर विजन डायग्नोस्टिक ने मेरठ व झांसी के मेडिकल कालेज को जीएसटी समेत 17 लाख 70 हजार प्रति नग के हिसाब से बेचा है।
लोहिया ने भी किया बचाव: लोहिया संस्थान के पर्चेजिंग ऑफीसर मोहित कुमार ने भी इस मामले में एसजीपीजीआइ का अनुसरण करने की बात कहकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है। सवाल यह है कि जब अनुसरण ही करना था तो 17 लाख 70 हजार रुपये में इसी थर्मो कंपनी की आरटीपीसीआर खरीदने वाले झांसी व मेरठ के मेडिकल कालेज का क्यों नहीं किया गया? लोहिया संस्थान के जेडीएमएम जयमंगल ने कहा कि एसजीपीजीआइ ने खरीदा था। इसलिए हमने भी खरीद ली।