रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने जून तिमाही में आर्थिक वृद्धि में 23.9 फीसद के संकुचन को ‘चिंताजनक’ करार देते हुए कहा कि नौकरशाही से सार्थक कदम उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान संकट के समय विचारशील और सक्रियता के साथ काम किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि शुरुआत में काफी अधिक सक्रियता के बाद यह कुंद होता प्रतीत हो रहा है।’ राजन ने अपने लिंक्डइन पेज पर लिखा है, ”आर्थिक वृद्धि में तेज गिरावट हम सभी के लिए चिंताजनक है। भारत में 23.9 फीसद का संकुचन देखने को मिला है, जबकि कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित देशों में शामिल इटली में 12.4 फीसद और अमेरिका में 9.5 फीसद का संकुचन देखने को मिला है।”
शिकागो यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर राजन ने कहा कि भारत में कोविड-19 महामारी का प्रकोप अब भी बना हुआ है। ऐसे में वायरस संक्रमण के काबू में आने तक गैर-जरूरी खर्चे और खासकर रेस्टोरेंट जैसी अधिक सम्पर्क वाली सेवाओं पर लोग कम खर्च करेंगे और संबंधित उद्योग में सुस्ती बनी रहेगी।
राजन ने इस बात की ओर इशारा किया कि सरकार भविष्य में प्रोत्साहन देने के लिए अपने पास कुछ संसाधन बचाकर रखना चाहती है। उन्होंने इस तरह की रणनीति को खुद को ही नुकसान पहुंचाने वाले करार दिया। उन्होंने कोरोना संकट से जूझ रहे लोगों को राहत दिए जाने की जरूरत पर बल दिया।
जाने-माने अर्थशास्त्री ने कहा कि ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टर में हाल में आई तेजी बहु-प्रतीक्षित वी-सेप रिकवरी को नहीं दिखाती है।
राजन ने कहा कि महामारी से पहले वृद्धि दर में सुस्ती और दबाव से जूझ रही सरकार की राजकोषीय स्थिति की वजह से अधिकारियों को लगता है कि राहत और प्रोत्साहन दोनों पर खर्च नहीं किया ज सकता है।