पिता की किताब से सीख रहे कानपुर की बारीकियां
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :शहर की कानून व्यवस्था ढर्रे पर कैसे लौटेगी, कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद आम आदमी के मन में सबसे बड़ा सवाल यही है। खुद नए पुलिस आयुक्त भी इसी उधेड़बुन में थे कि इस जिम्मेदारी को वह किस प्रकार निभाएंगे। इस स्थिति में उनकी पथ प्रदर्शक बनी उनके ही पिता की लिखी किताब, जिसमें शहर की कानून व्यवस्था, यहां की समस्याओं और उनके निराकरण का जिक्र है।
विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि पिता प्रदेश के डीजीपी रह चुके श्रीराम अरुण लंबे समय तक कानपुर जोन के आइजी पद पर तैनात रहे थे। उनकी पढ़ाई भी डीएवी कॉलेज से हुई और जीवन की पहली नौकरी भी उन्होंने यहीं शेयर मार्केट में की थी, इसलिए कानपुर से उनका विशेष लगाव था। पिता जी ने अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर एक किताब लिखी है, जिसका नाम हमारी पुलिस दशा और दिशा है।
पिता जी की यही किताब पथ प्रदर्शक बन रही है। किताब में कानपुर को लेकर काफी कुछ लिखा गया है। यहां की संस्कृति, आचार विचार और अपराध से जुड़े तमाम संस्मरण व अपराध के कारण व निवारण के बारे में जानकारी दी गई है। कानपुर का पुलिस आयुक्त बनने के बाद यह किताब पढऩा शुरू की है। इससे उन्हेंं काफी कुछ नई जानकारियां मिली हैं। किताब में बेहतर पुलिसिंग के तरीके भी बताए गए हैं। आगे आने वाले समय में वह उन्हीं तरीकों के आधार पर कानून व्यवस्था को पटरी पर लाएंगे।
वर्ष 2010 में प्रकाशित हुई थी किताब : पूर्व डीजीपी श्रीराम अरुण ने अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर किताब लिखी थी, जो 2010 में प्रकाशित हुई थी। 433 पन्नों की इस किताब में उन्होंने पुलिस सिस्टम पर काफी शोधपरक लेख लिखे हैं।