भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया ने मिलाए हाथ
स्वतंत्रदेश,लखनऊ: 12 मार्च, 2021 की तिथि आधुनिक विश्व इतिहास में दर्ज हो गई है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते आक्रामक रवैये को ध्यान में रखकर भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के बीच बने गठबंधन क्वाड के प्रमुखों की पहली बैठक शुक्रवार को संपन्न हुई, जिसकी तुलना कूटनीतिक जानकार 1957 में पेरिस में हुई नाटो (नार्थ अटलांटिक ट्रिटी आर्गेनाइजेशन) की पहली बैठक से कर रहे हैं। बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में हिंद-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त, खुला, सभी के लिए समान अवसर वाला बनाने पर जोर दिया गया। इसके खास मायने हैं…
विशेषज्ञ समूह बनाने का फैसला
चारों देशों के नेताओं के बीच फिलहाल कोरोना वैक्सीन बनाने, अत्याधुनिक व संवेदनशील तकनीकी के इस्तेमाल और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने को लेकर तीन अलग-अलग विशेषज्ञ समूह बनाने का फैसला किया गया है। पीएम नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, आस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मॉरीसन और जापान के पीएम योशिहिदे सुगा के बीच वर्चुअल प्लेटफार्म पर हुई बैठक और इसके बाद जारी संयुक्त बयान का संकेत साफ है कि अब विश्व में नई व्यवस्था का समय आ गया है।
चीन का नाम लेने से परहेज
बैठक की शुरुआत चारों नेताओं के संक्षिप्त भाषण से हुई। पीएम मोदी ने क्वाड को इस क्षेत्र में स्थिरता कायम करने में एक महत्वपूर्ण कड़ी के तौर पर चिन्हित किया और कहा कि चारों देश अब ज्यादा नजदीकी तौर पर काम करेंगे। इस दौरान मोदी और तीनों देशों के प्रमुखों ने सीधे तौर पर चीन का नाम लेने से परहेज किया। हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति और जापान के पीएम का चीन पर निशाना ज्यादा साफ था।
सभी के लिए खुला हो हिंद-प्रशांत क्षेत्र
बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में पहला बिंदु ही यह रहा कि चारों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त, खुला, सभी के लिए समान अवसर वाला, लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित और किसी भी तरह के दबाव से रहित बनाने की कोशिश करेंगे। संयुक्त बयान में कहा गया है कि हिंद-प्रशांत व इससे बाहर हम समान कानून सम्मत व्यवस्था बनाने, अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं।
म्यांमार में सैनिक तानाशाही की निंदा
बयान में समुद्री सीमाओं से संबंधित विवादों को निपटाने के लिए यूएनसीएलओएस के नियमों के आदर करने की बात है, जिसे चीन पहले ही ठुकरा चुका है। बयान में हाल ही में म्यांमार में सैनिक तानाशाही की बहाली और लोकतांत्रिक सरकार को बर्खास्त करने की निंदा की गई है।
संयुक्त बयान से झलकती है प्राथमिकता
बैठक के बारे में जानकारी देते हुए विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने बताया कि चारों देशों की तरफ से तीन विशेषज्ञ समितियां गठित करने का फैसला उनकी प्राथमिकताओं को बताता है।
बैठक की अहम बातें
1- राष्ट्रपति बनने के बाद बाइडन पहली बार दो से ज्यादा देशों की किसी बैठक में शामिल हुए, जो क्वाड को लेकर अमेरिका की गंभीरता दिखाता है
2- किसी मंच (वर्चुअल) पर मोदी और बाइडन की पहली मुलाकात हुई। राष्ट्रपति बनने के बाद से बाइडन और मोदी ने फोन पर दो बार बात की है
चारों नेताओं के बीच इस वर्ष व्यक्तिगत बैठक की भी सहमति बनी। ब्रिटेन में होने वाली समूह-7 देशों की बैठक के दौरान हो सकती है मुलाकात
4- कोरोना से हुई बर्बादी और नए सुरक्षा हालात को देखते हुए मजबूत सहयोग का प्रण जताया गया, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र से इतर भी रणनीति को विस्तार देने का संकेत है
5- मौजूदा महामारी और भविष्य में ऐसी चुनौतियों के खिलाफ तंत्र विकसित किया जाएगा। वैक्सीन निर्माण व वितरण इसका अहम हिस्सा होगा
गठबंधन किसी भी देश के खिलाफ नहीं
विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला के मुताबिक कई वैश्विक मुद्दों के साथ क्षेत्रीय मुद्दे भी उठाए गए हैं। लेकिन ये मुद्दे कौन से हैं, यह गोपनीय है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत नहीं मानता कि क्वाड गठबंधन किसी भी देश के खिलाफ है, बल्कि यह सभी के लिए है।