लखनऊ वासियों को घर में रखने होंगे चार कूड़ेदान
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :घर से कूड़ा निकाला और उसे सड़क किनारे फेंक दिया। यह हमारी आदत में शामिल हो गया था। इस कूड़े में घर का हर अनुपयोगी सामान होता था। चाहे बचा हुआ भोजन हो या फिर सब्जी के छिलके, कांच, अनुपयोगी चिकित्सकीय सामान। समय के साथ दो डिब्बों में कूड़ा रखने को कहा गया, जो बाद में तीन डिब्बों में विभाजित कर दिया गया। अब आपको कूड़े के लिए चार डिब्बे रखने पड़ेंगे। इसमें सूखे कूड़े को विभाजित कर जैव अपशिष्ट की श्रेणी बनाई गई है। लखनऊ से चार डिब्बों की शुरुआत की जा रही है, जो जल्द ही प्रदेश के हर शहर में लागू होगी।
अब घर से ही कूड़े की छंटाई पर जोर दिया जा रहा है। नगर निगम की तरफ से 110 चैपियंस (युवक-युवती) को इस काम में लगाया गया है, जो घर-घर जाकर कूड़े को अलग-अलग डिब्बों में रखने के लिए जागरूक कर रहे हैं।
लापरवाही से ही मिक्स था कूड़ा: वैसे तो ठोस अपशिष्ट अधिनियम 2016 में ही कूड़े को चार भागों में रखने का नियम बन गया था, लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा था। लखनऊ नगर निगम ने भी स्वच्छ सर्वेक्षण चालू होने पहले एक डिब्बा रखने की अपील की, जो समय के साथ तीन तक पहुंच गई थी। ऐसे में स्वच्छ सर्वेक्षण की रैकिंग भी कम हो रही थी। दस दिन से नगर निगम चार डिब्बे रखने की अपील कर रहा है। चौथा डिब्बा सूखे कचरे से कुछ आइटम को हटाकर बनाया गया है। अभी तक सूखे कचरे में सेनेटरी नैपकिन और डाइपर को भी शामिल किया गया था, लेकिन अब उसे जैव अपशिष्ट श्रेणी में रखा गया है।
चार डिब्बों में ऐसे रखना होगा कूड़ा
नीलेे डिब्बेे में सूखा खचरा: अखबार, प्लास्टिक, लोहा, कपड़ा, सोल, कांच, पैकेजिंग मैटेरियल, टूटे हुए खिलौने
हरेे डिब्बेे में गीला कचरा: किचन से बची हुई खाद्य सामग्री, फल, सब्जी के छिलके, घास, मीट, पेड़ की पत्तियां, राख, चाय की पत्ती, बचा खाना
पीलेे डिब्बेे में जैव अपशिष्ट कचरा: सेनेटरी वेस्ट जैसे वाइपर, सेनेटरी नैपकिन, एक्सपायर्ड, मेडिसिन, उपयोग की गई सुईं, सिरिंज कोविड-19 वेस्ट जैसे मॉस्क, पीपीई किट, ग्लब्स, कैप, टिशू पेपर
अलग-अलग कूड़ा ऐसे होगा उपयोगी
- गीले कूड़े से खाद बन जाएगी
- सूखे कूड़े का उपयोग इंटरलाकिंग टाइल्स बनाने में हो सकेगा।
- प्लास्टिक को फिर से रीसाइकिल कर उससे खिलौने बन सकते हैं।