जांच में सामने आई पेयजल योजना में 20 करोड़ की धांधली
स्वतंत्रदेश,लखनऊ :उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आर्थिक अनियमितता के एक और बड़े मामले में एफआइआर दर्ज कर दोषियों पर कार्रवाई का निर्देश दिया है। जल निगम भर्ती घोटाले के बाद अब इस विभाग में हुई एक और धांधली सामने आई है। बसपा शासनकाल में पेयजल योजना में हुई 20.43 करोड़ रुपये से अधिक की धांधली के मामले में अब दोषी अफसरों पर कानूनी शिकंजा कसेगा।
यूपी सरकार के निर्देश पर आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (ईओडब्ल्यू) ने चित्रकूट के मऊ व बरगढ़ पेयजल योजना में हुई करोड़ों की अनियमितता के मामले में जल निगम के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता आरके वाजपेयी, एके सिंह, आरके त्रिपाठी, गिरीश चंद्र व एमसी श्रीवास्तव समेत 22 आरोपितों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज की है। यह एफआइआर ईओडब्ल्यू के लखनऊ सेक्टर के थाने में दर्ज कर विवेचना शुरू की गई है।
वर्ष 2010-11 व वर्ष 2011-12 में संचालित योजना का काम समय से पूरा नहीं किया गया था और उसमें धांधली की गई थी। शासन ने पूर्व में इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी थी। जांच में अनियमितता के साक्ष्य मिलने के बाद प्रकरण में एफआइआर दर्ज किए जाने की सिफारिश की गई थी, जिसे शासन ने मंजूरी दे दी।
आठ साल लटका रहा घर-घर पानी पहुंचाने का काम : चित्रकूट में घर-घर पानी पहुंचाने की इस महत्वाकांक्षी योजना को दो साल में पूरा किया जाना था, लेकिन अफसरों के भ्रष्टाचार व अनदेखी के चलते परियोजना का काम आठ वर्षों तक अटका रहा। शासन ने इस प्रकरण की जांच जुलाई 2019 में ईओडब्ल्यू को सौंपी थी। निरीक्षक सुजीत कुमार राय ने कई बार चित्रकूट जाकर मौके पर जांच की और जांच के दायरे में आए अधिकारियों व कर्मियों के बयान लिए। लंबी जांच के बाद करोड़ों का घपला सामने आया। यह भी सामने आया कि कम समय में जो काम कम लागत में पूरा हो जाना चाहिए था, अधिकारी उसे लटकाए रहे। बताया गया कि दो माह पूर्व ही परियोजना का काम पूरा हुआ है।