राजनीति

पंचायत चुनाव को लेकर सियासी महौल गरमाया

स्वतंत्रदेश,लखनऊ : पंचायत चुनाव की आहत होते ही सियासी माहौल गरमाने लगा है। पार्टियां अंदर खाने तैयारी में लग गई हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी को भाजपा ने अविश्वास प्रस्ताव लाकर हासिल किया था। अब इस सीट को बचाए रखना उसके सामने चुनौती है क्योंकि इस सीट पर सपा का कई सालों तक कब्जा रहा है। वहीं सपा इस बार फिर से इस सीट को वापस लाने की जुगत में लगी हुई है। ऐसे में अभी से ही सियासी रण सजने लगा है। यह बात और है कि अभी पंचायत चुनाव की रणभेरी नहीं बजी है।

पंचायत चुनाव की आहत होते ही सियासी माहौल गरमाने लगा है। पार्टियां अंदर खाने तैयारी में लग गई हैं।

जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर सपा की चेतना सिंह दस साल तक काबिज रही थीं। उनके बाद आरक्षण में यह सीट अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित हो जाने के कारण सपा के पूर्व विधायक आशुतोष मौर्य अपनी बहन मधु चंद्रा को जिताकर इस कुर्सी पर बैठाने में कामयाब हो गए थे। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद से ही अविश्वास प्रस्ताव लाकर कुर्सी हथियाने की जुगत भिड़ाई जाने लगी थी, लेकिन अंदरखाने भाजपा के ही कुछ नेता जिला पंचायत अध्यक्ष का समर्थन करते रहे, जिसकी वजह से अविश्वास प्रस्ताव पास कराने में भाजपा को दो साल का समय लग गया। ज्योति कांड फंसने के बाद राजनीति से दूर हुए पूर्व विधायक योगेंद्र सागर ने अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए पूरी ताकत झाेंक दी और अविश्वास प्रस्ताव लाकर सपा के कब्जे से इस सीट को छीन लिया। अब जब बिहार चुनाव हो चुका है। ऐसे में जल्द ही पंचायत चुनाव का भी ऐलान होने की संभावना है। ऐसे में चुनावी महारथी अभी से ही अपने अपने तीर तरकश को तैयार करने में लग गए हैं। जिससे सियासी माहौल गरमा गया है।

वर्जन 

पंचायत चुनाव की तैयारी शुरू कर दी गई है। जिला पंचायत सदस्य की हर सीट पर एक-एक प्रभारी नियुक्त किए जा रहे हैं। अधिक से अधिक सदस्य होंगे तो आरक्षण के बाद पार्टी जिसे भी प्रत्याशी तय करेगी उसे आसानी से जिताया जा सकेगा। अभी तो जिला पंचायत की हर सीट जीतने की रणनीति बनाकर काम किया जा रहा है।

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