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एलएसी पर चीन से कब तक चलेगा गतिरोध

 स्वतंत्रदेश,लखनऊ :पूर्वी लद्दाख में चीन से जारी गतिरोध लगातार बना हुआ है। हाल फिलहाल में यह खत्‍म हो जाएगा या यह लंबा खिंचेगा… इस सवाल पर विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने कहा है कि मैं इस बारे में कोई भविष्यवाणी नहीं करूंगा। इस साल की घटनाएं बेहद विचलित करने वाली हैं। उन्‍होंने अपने रुख के चलते कुछ बुनियादी चिंताओं को उठाया है। दूसरे पक्ष ने उन समझौतों का पालन नहीं किया है। वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान हो और वहां गतिविधियों पर नजर रखी जा सके इसीलिए हम वहां मौजूद हैं।

पूर्वी लद्दाख में चीन से जारी गतिरोध लगातार बना हुआ है। हाल फिलहाल में यह खत्‍म हो जाएगा या यह लंबा खिंचेगा…

समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक, विदेश मंत्री ने कहा कि एलएसी पर जो कुछ हुआ है वह किसी भी लिहाज से चीन के हित में नहीं है। इस गतिरोध के चलते लोगों की भावना पर प्रतिकूल असर पड़ा है। उल्‍लेखनीय है कि हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि चीन की तैनाती से दोनों देशों के संबंधों और समझौतों को गंभीर नुकसान हुआ है। बीते 30-40 वर्षों का यह सबसे मुश्किल दौर है।

जयशंकर ने ऑस्ट्रेलियाई थिंक टैंक लॉवी इंस्टीट्यूट के ऑनलाइन कार्यक्रम में यह भी कहा था कि चीन ने एलएसी पर बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती के लिए पांच विरोधाभासी कारण बताए हैं। सीमा पर अशांत है जिसके चलते बाकी क्षेत्रों में संबंध आगे नहीं बढ़ सकते हैं। उन्‍होंने साफ कहा था कि मौजूदा हालात में भी कोई (चीन) यदि संबंध बढ़ाने की सोचता है तो यह उसकी गैर वाजिब सोच होगी।

विदेश मंत्री ने कहा था कि इससे पहले भी हमारे मतभेद रहे है लेकिन संबंध सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ते रहे लेकिन मौजूदा स्थितियां द्विपक्षीय रिश्‍तों के अनुकूल नहीं हैं। विदेश मंत्री ने साल 1993 में हुए कई समझौते की याद दिलाई थी। उन्‍होंने कहा था कि इन समझौतों में यह वादा किया गया कि दोनों देश सीमा पर कभी भी बड़ी संख्या में सैनिकों-हथियारों की तैनाती नहीं करेंगे लेकिन अब चीन सरकार ने तैनाती बढ़ा दी है। उसने बार बार इस तैनाती को लेकर अलग अलग बहाने बनाए हैं…

 

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