उत्तर प्रदेशराज्य

अस्‍पतालों में नहीं हो रहा कोरोना प्रोटोकॉल का पालन

स्वतंत्रदेश,लखनऊ :कोरोना के प्रति भले ही सरकार जागरूकता के तमाम प्रयास कर रही हो और उसके प्रोटोकॉल के पालन की हिदायत दे रही हो, लेकिन सरकारी अस्पतालों में ही इस प्रोटोकॉल का पालन होता नहीं दिख रहा है। सिविल अस्पताल से लेकर बलरामपुर व अन्य अस्पतालों की इमरजेंसी में बिना पीपीई किट पहने ही डॉक्टर इमरजेंसी में मरीजों को देख रहे हैं। ऐसे में वह खुद को तो खतरे में डाल ही रहे हैं। साथ ही साथ अन्य मरीजों के लिए भी मुश्किल पैदा कर रहे हैं। यही वजह है कि अस्पतालों में इमरजेंसी स्टाफ व टेक्निकल स्टाफ एवं डॉ लगातार संक्रमित हो रहे हैं।

राजधानी लखनऊ में कोरोना के प्रति भले ही सरकार जागरूकता के तमाम प्रयास कर रही हो और उसके प्रोटोकॉल के पालन की हिदायत दे रही हो लेकिन सरकारी अस्पतालों में ही इस प्रोटोकॉल का पालन होता नहीं दिख रहा है।

हालत यह है कि इमरजेंसी में बैठे डॉक्टर सिर्फ मास्क लगाकर व ग्लब्स पहनकर ही ड्यूटी दे रहे हैं। हैरानी की बात तो यह है कि कई बार टेक्निकल स्टाफ भी सिर्फ मास्क और ग्लब्स पहनकर ही कोरोना नमूने लेने व जांच करने का काम कर रहे हैं। ऐसे में जाहिर है कि कोरोना प्रोटोकॉल को नजरअंदाज किया जा रहा है। यही वजह है कि संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा है। अभी दो हफ्ते पहले ही सिविल अस्पताल में साइलेंट कोरोना से एक टेक्नीशियन की मौत हो चुकी है। जबकि दो अन्य टेक्नीशियन संक्रमित हो चुके हैं। इससे पहले भी अब तक यहां करीब 15-16 डॉक्टर व 80 मेडिकल स्टाफ संक्रमित हो चुके हैं। बलरामपुर अस्पताल में भी करीब इतने ही डॉक्टर व मेडिकल स्टाफ कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। बावजूद प्रोटोकॉल का अक्षरशः पालन होता नहीं दिख रहा है।

कई अस्पताल सिर्फ सोच कर प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रहे कि पिछले एक डेढ़ माह में उनके यहां कोई संक्रमित नहीं हुआ। इससे मरीजों और डॉक्टरों के साथ-साथ तीमारदारों को भी संक्रमण का खतरा बना हुआ है। बलरामपुर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ हिमांशु चतुर्वेदी ने बताया कि उनके यहां करीब एक डेढ़ माह से कोई डॉक्टर व मेडिकल स्टाफ संक्रमित नहीं हुआ है।

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