उत्तर प्रदेशराज्य

उत्तर प्रदेश में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के प्रयास प्रारंभ

स्वतंत्रदेश ,लखनऊउत्तर प्रदेश में सड़क हादसों में बढ़ती जनहानि को कम करने के लिए यातायात नियमों में सख्ती के बाद भी अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहे हैं। हाईवे से लेकर बड़े शहरों में यातायात व्यवस्था की बदहाली भी चिंता की लकीरें खींचती रहती हैं।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इन पर प्रभावी नियंत्रण के लिए अब पुलिस के साथ जिला पुलिस की भूमिका बढ़ाई जा रही है। डीजीपी राजीव कृष्ण ने हर संवेदनशील थाने में मिशन शक्ति केंद्र की तर्ज पर दुर्घटनाओं की जांच के लिए पांच से छह पुलिसकर्मियों की अलग टीम गठित कराने की योजना बनाई है।टीम दुर्घटनाओं के कारणों के साथ घटनास्थल पर यातायात प्रबंधन की कमियों की भी समीक्षा करेगी। खासकर बड़ी दुर्घटनाओं में वाहनों की फिटनेस से लेकर लंबित चालान व अन्य पहलुओं को भी देखा जाएगा। यातायात निदेशालय ने इससे पहले सभी बड़े सड़क हादसों की जांच क्षेत्राधिकारी से कराने की पहल की थी।डीजीपी ने दुर्घटनाओं में जनहानि को न्यूनतम करने व बेहतर यातायात प्रबंधन के लिए शुरू किए गए प्रयासों की पुलिस मुख्यालय स्तर से मानिटरिंग कराने का निर्देश भी दिया है। हर जिले में अब थाना स्तर पर विशेष टीमें गठित कर दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए संवेदनशील स्थलों को चिन्हित करने के अलावा यातायात नियमों से जुड़े प्रतीकों को भी लगवाया जाएगा।

सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के शून्य मृत्यु जिला (जेडएफडी) कार्यक्रम के तहत इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस (आइआरएडी) के माध्यम से वर्ष 2023 व 2024 में घटित सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों के आधार पर देश में 100 जिलों एक्सीडेंटल डेथ रिडक्शन डिस्ट्रिक्ट के रूप में चिन्हित किया गया है, जिनमें उत्तर प्रदेश के 20 जिले शामिल हैं।इनमें लखनऊ, कानपुर नगर, गौतमबुद्वनगर आगरा, प्रयागराज, बुलंदशहर, उन्नाव, हरदोई, अलीगढ़, मथुरा, बरेली, फतेहपुर, सीतापुर, गोरखपुर, बाराबंकी, कुशीनगर, जौनपुर, बदायूं, फीरोजाबाद व आजमगढ़ में 283 ऐसे थाने भी चिन्हित किए गए हैं, जहां 80 प्रतिशत दुर्घटनाएं होती हैं।पहले चरण में इन सभी थानों में क्रिटिकल टीम का गठन कर उनकी जिम्मेदारी व जवाबदेही तय की जाएगी। एक टीम में न्यूनतम एक दारोगा व चार सिपाही होंगे। दुर्घटना के सभी मुकदमों की जांच क्रिटिकल टीम के द्वारा ही की जाएगी। इनके अलावा 20 जिलों में 89 क्रिटिकल कारीडोर व 3233 दुर्घटना बहुल क्षेत्र भी चिन्हित किए गए हैं। आंकड़ों के विश्लेषण में सामने आया है कि अधिक दुर्घटनाएं शहर के बाहरी क्षेत्र व हाईवे के थानाक्षेत्रों में होती हैं। लिहाजा जल्द हर जिले में दुर्घटना बहुल थानों में भी विशेष क्रिटिकल टीमों का गठन होगा और पुलिसकर्मियों की तैनाती भी बढ़ाए जाएगी।

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