उत्तर प्रदेशराज्य

यूपी में 741 बसों में चल रही हैं सिर्फ 482, डिपों में खड़ी हैं 259 लग्जरी गाड़ियां

स्वतंत्रदेश ,लखनऊरोडवेज की 259 लग्जरी एसी बसें खराब हालत और चालकों की कमी के कारण डिपो में खड़ी हैं, जिससे करीब 45 हजार यात्री रोज़ाना असुरक्षित डग्गामार प्राइवेट बसों पर निर्भर हैं। रोडवेज की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि 741 बसों के बेड़े में से केवल 482 बसें ही सड़कों पर चल पाती हैं। इसमें अयोध्या परिक्षेत्र की स्थिति सबसे गंभीर है, जबकि लखनऊ दसवें नंबर पर है। पुराना बेड़ा, मरम्मत में लापरवाही और चालकों के अभाव में सड़क पर बसें नहीं उतर रही हैं, लेकिन कुछ परिक्षेत्रों का प्रदर्शन अब भी सराहनीय है।

रोडवेज में लखनऊ परिक्षेत्र समेत कुल 19 परिक्षेत्र हैं। इनमें 741 एसी बसों का बेड़ा है। इनके संचालन को लेकर रोडवेज प्रशासन की ओर से रिपोर्ट तैयार की गई, जिसमें खुलासा हुआ है कि 741 बसों में से सिर्फ 482 एसी बसें ही सड़कों पर उतर सकी हैं। 259 बसों का इस्तेमाल नहीं हुआ है। यानी कुल 34.95 फीसदी बसें ऑफरूट रही हैं। इन बसों को सड़कों पर नहीं उतारे जाने के पीछे कई वजहे हैं। इसका लाभ डग्गामार बसें उठा रही हैं। प्रतिदिन लखनऊ सहित प्रदेशभर में करीब 45 हजार यात्री डग्गामार प्राइवेट बसों के सहारे सफर कर रहे हैं।अयोध्या की स्थिति सबसे खराब, लखनऊ 10वें नंबर पर
रिपोर्ट के अनुसार अयोध्या की हालत सबसे खराब है। यहां कुल एसी बसों की संख्या 13 है, जिसमें चार बसें ही चल सकीं जबकि नौ खराब खड़ी रहीं। दूसरे नंबर पर सहारनपुर है, जहां 48 बसों में से 25 बसें चलीं, गाजियाबाद में 78 बसों में 42 ही चलाई जा सकीं। मेरठ में 19 बसों में 11, वाराणसी में 36 बसों में 21 तथा गोरखपुर में 61 में 36 बसें ही चलीं। लखनऊ दसवें नंबर पर है। यहां कुल बसों की संख्या 141 है, जिसमें 97 एसी बसें ही चलाई जा सकीं, 44 डिपो में खड़ी रहीं।

इनका प्रदर्शन सराहनीय
सबसे अच्छा प्रदर्शन इटावा परिक्षेत्र का रहा, जिसकी दोनों बसें चलती मिलीं। झांसी परिक्षेत्र की आठ बसों में सात चलीं व एक बंद रही। चित्रकूट व आजमगढ़ में 12-12 एसी बसें हैं, जिसमें दस-दस चलती मिलीं। रोडवेज के एमडी की ओर से इन परिक्षेत्रों के अफसरों की सराहना की गई।

इसलिए डिपो से नहीं निकलती बसें
अधिकारी बताते हैं कि रोडवेज की एसी लग्जरी बसें खस्ताहाल हैं। बेड़ा पुराना है, जिससे आए दिन बसें खराब रहती हैं। दूसरे, कई परिक्षेत्रों में बसों की मरम्मत निजी एजेंसियों को दी गई है, जहां मेंटीनेंस में लापरवाही बरती जाती है। इसके अतिरिक्त चालकों का अभाव भी एक वजह है।

Related Articles

Back to top button