उत्तर प्रदेशराज्य

लाखों जीतने का ऑफर… फिर खाली हो गया अकाउंट

स्वतंत्रदेश ,लखनऊजानकीपुरम निवासी सरकारी विभाग में कार्यरत दिनेश कुमार का 14 वर्षीय बेटा अपनी मां के मोबाइल के मोबाइल पर गेम खेल रहा था। इसी दौरान 10 रुपये से गेम शुरू कर लाखों रुपये जीतने का प्रलोभन का मेसेज आया। बेटे के क्लिक करते ही उसकी मां के खाते से नौ हजार रुपये कट गए।

जब दोबारा मेसेज आया कि एक बार नहीं, पुनः प्रयास करें तो खाते में पैसा नहीं था। इसलिए नहीं कटा। दिनेश कुमार ने बताया जब शाम को उन्होंने पत्नी का मोबाइल देखा तो खाते से नौ हजार रुपये कटने का मेसेज था। पत्नी से पूछा तो पता चला कि बेटा दिन में गेम खेल रहा था। उसने किसी अनजान लिंक पर क्लिक किया था। इसकी शिकायत साइबर सेल में दर्ज कराई गई।पुलिस ने मशक्कत करके पैसा तो खाते में वापस करवा दिया, लेकिन आरोपियों पर कार्रवाई नहीं हो सकी। दिनेश कुमार ने बताया कि कोशिश ये होनी चाहिए कि बच्चों को गेम खेलने के लिए मोबाइल न ही दें तो ज्यादा अच्छा है।

ऑनलाइन लूडो खेलते हैं तो हो जाएं सतर्क
सीतापुर रोड स्थित भरतनगर निवासी मेडिकल स्टोर संचालक श्याम किशोर वर्मा ने बताया कि एक दिन वह दुकान में फुरसत के समय मोबाइल पर ऑनलाइन लूडो खेल रहे थे। अचानक मेसेज आया कि अगर लाखों रुपये कमाने हैं तो इस मेसेज में दिए गए लिंक पर क्लिक कीजिए। मेसेज हिंदी में था। उन्होंने तत्काल उस पर क्लिक नहीं किया। इस बारे में अपने बेटे को बताया। उसने सतर्क किया और बताया कि इस तरह के मेसेज में दिए गए लिंक पर क्लिक करते ही पैसा कट जाता है। इसके बाद बेटे ने मोबाइल में चल रहे गूगल पे का पासवर्ड बदल दिया।

मोबाइल पर चार घंटे… मतलब बच्चे को लग रही लत

मोहनलालगंज में छठवीं के छात्र यश के ऑनलाइन गेम खेलने की लत ने उसके परिवार को न केवल आर्थिक रूप से तोड़ दिया, बल्कि जीवन भर का दर्द भी दे गया। इससे पहले वर्ष 2022 में पीजीआई इलाके में मोबाइल गेम खेलने से रोके जाने पर एक किशोर ने मां की गोली मारकर हत्या कर दी थी।केजीएमयू के मनोचिकित्सक पवन कुमार गुप्ता का कहना है कि अगर कोई बच्चा चार घंटे से ज्यादा मोबाइल पर समय बिता रहा है तो वह लती हो सकता है। लत बढ़ती है तो बच्चे गेम और वास्तविक जीवन में अंतर करना छोड़ देते हैं। इसे गेमिंग डिसऑर्डर कहते हैं। इसकी पहचान बहुत आवश्यक है।

केजीएमयू के मनोरोग विभाग की ओपीडी में रोजाना चार से पांच बच्चे मोबाइल की लत वाले आते हैं। विभाग की डॉ. पूजा माहौर के अनुसार, एक शोध के मुताबिक मोबाइल की लत की वजह से दिमाग में केमिकल का असंतुलन बढ़ रहा है। इससे भावनात्मक नियंत्रण नहीं हो पा रहा है।

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