उत्तर प्रदेशराज्य

यूपी में अपराध नियंत्रण पर जोर

 स्वतंत्रदेश ,लखनऊराज्य में अपराध पर नियंत्रण के लिए नेशनल आटोमेटेड फ्रिंगर प्रिंट आइडेंटीफिकेशन सिस्टम (एनएएफआइएस) के तहत 4,14,473 अपराधियों के फ्रिंगर प्रिंट का डिजिटलीकरण किया जा चुका है।

इन फ्रिंगर प्रिंट्स को एसटीएफ की नौ यूनिट, एटीएस की एक यूनिट और जीआरपी की 12 इकाइयों को उपलब्ध कराया गया है, जो अपराधियों की पहचान में मददगार साबित हो रही हैं। साथ ही आधुनिक तकनीकों से युक्त छह और फारेंसिक प्रयोगशालाओं की स्थापना की जा रही है।

यह प्रयोगशालाएं अयोध्या, बस्ती, बांदा, आज़मगढ़, मीरजापुर और सहारनपुर में स्थापित की जा रही हैं। इससे पहले राज्य में 12 प्रयोगशालाएं संचालित की जा रही है।

प्रदेश में अपराध और अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए फारेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला का विस्तार किया जा रहा है। पहले प्रदेश में केवल चार प्रयोगशालाएं थी। सीमित संख्या में उपलब्ध प्रयोगशालाओं के कारण मामलों के निस्तारण में विलंब होता था, वहीं अब विभिन्न जिलों में उपलब्ध प्रयोगशालाओं से पुलिस और न्यायालयों को समयबद्ध रिपोर्ट प्राप्त हो रही है।

साथ ही एनएएफआइएस के माध्यम से पुलिस को अपराधियों की पहचान और उनकी पुरानी गतिविधियों की जानकारी तेजी से मिल रही है। साथ ही अज्ञात शवों की पहचान में भी यह तकनीक अहम भूमिका निभा रही है।

सरकार ने हाल ही में तीन नए अधिनियम (बीएमएस, बीएमएसएस, बीएसए-2023) लागू किए हैं, जिनके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं में वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की नियुक्ति पर भी जोर दिया जा है।

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