उत्तर प्रदेशराज्य

47 दिन बाद पिंजड़े में कैद हुआ तेंदुआ

स्वतंत्रदेश, लखनऊ : धौरहरा बेलागढी में दो मानव शिकार कर चुका तेंदुआ गुरुवार की सुबह विभाग के पिंजरे में फंस गया। यह 47 दिनों से इलाके में आतंक का पर्याय बना हुआ था। रेंजर अनिल शाह के मुताबिक बेलागढी के बनटुकरा में तेंदुआ को पकड़ने के लिए दो पिंजरे लगाए गए थे। वन विभाग की टीम यहां 11 कैमरे लगाकर लगातार निगरानी कर रही थी। लेकिन शातिर तेंदुआ लगातार चकमा दे जाता था। कई बार पिंजरे में बंधी बकरी को नजरअंदाज कर वह लौट गया।

हालांकि विभाग की सक्रियता के कारण तेंदुआ अगला मानव शिकार नहीं कर सका। गुरुवार की सुबह पांच बजकर 51 मिनट पर तेंदुआ बनटुकरा में लगे एक पिंजरे में बकरी का शिकार करने घुसा और फंस गया। 47 दिन बाद मिली यह सफलता विभाग के लिए बड़ी थी। सुबह ही विभाग की टीम पिंजरे में कैद तेंदुआ को लेकर धौरहरा रेंज ऑफिस के लिए निकल ली। रेंजर ने बताया कि पिंजरे में फंसा तेंदुआ मादा है। मेडिकल परीक्षण के बाद इसे उच्चाधिकारियों के निर्देश पर जंगल में छोड़ा जाएगा।

वन व‍िभाग का स‍िर दर्द और बढ़ा

बेलागढ़ी में तेंदुआ पकड़े जाने के बाद विभाग का सिरदर्द कम होने की बजाय बढ़ गया है। ऐसा इसलिए कि पिंजरे में फंसा तेंदुआ मादा है। विभाग का मानना है कि इलाके में नर तेंदुआ भी होगा जो अभी पकड़ से बाहर है। मादा के पकड़े जाने के बाद वह अधिक आक्रामक हो सकता है। इसलिए विभाग ने इस इलाके में लगे कैमरे चालू रखने और पिंजरे खुले रखने का निर्णय किया है। मौके पर मौजूद डब्ल्यू टी आई टीम का भी मानना है कि अभी निश्चिंत हो जाना सही नहीं होगा। इसकी एक वजह यह भी कि क्षेत्र के कई और गांवों में भी तेंदुआ का मूवमेंट कैमरे में कैद हुआ है। हालांकि एक्सपर्ट का मानना है कि छोटे शावक नहीं हैं। पकड़े गए फीमेल तेंदुआ की उम्र भी दो – ढाई साल के आसपास ही है।

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