गंगा संरक्षण के लिए सरकार का बड़ा फैसला
स्वतंत्रदेश ,लखनऊगंगा संरक्षण के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने 548 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान कर दी। एनएमसीजी के महानिदेशक राजीव कुमार मित्तल की अध्यक्षता में नई दिल्ली में हुई कार्यकारी समिति की बैठक में शुक्रवार को यह निर्णय हुआ।

इसमें ”रामगंगा नदी में प्रदूषण की रोकथाम” के लिए मुरादाबाद जोन-3 और जोन-4 में इंटरसेप्शन, डायवर्जन, एसटीपी वअन्य संबद्ध कार्यों से जुड़ी विस्तृत परियोजना को हरी झंडी दी गई।
करीब 409.93 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना का उद्देश्य रामगंगा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाना है। परियोजना के तहत जोन-3 में 15 एमएलडी और जोन-4 में 65 एमएलडी क्षमता वाले आधुनिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया जाएगा।इसके साथ ही 5 प्रमुख नालियों को रोककर डायवर्ट किया जाएगा। इस योजना में 50 केएलडी क्षमता का सेप्टेज को-ट्रीटमेंट सुविधा भी प्रस्तावित है, जो जलमल प्रबंधन को और अधिक प्रभावी बनाएगी। यह परियोजना सिर्फ निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें आगामी 15 वर्षों तक संचालन एवं रखरखाव भी शामिल है।बैठक में कानपुर शहर के 14 अनटैप नालों को रोकने व उनके डायवर्जन से जुड़ी 138.11 करोड़ रुपये की परियोजना को स्वीकृति मिली है। शहर की जल निकासी और स्वच्छता प्रणाली को एक नई दिशा देगी। इस परियोजना के अंतर्गत नालों से सीधे नदी में गिरने वाले सीवेज को रोककर, उसे प्रस्तावित सीवेज पंपिंग स्टेशनों और मैनहोल के माध्यम से शोधन केंद्रों तक पहुंचाया जाएगा। इसमें एक वर्ष के संचालन और रखरखाव की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई है।उपचारित जल के सुरक्षित फिर से उपयोग के लिए राज्य नीति और व्यवसाय माडल के विकास तथा एनएमसीजी के लिए एक पाडकास्ट श्रृंखला के निर्माण को भी स्वीकृति दी गई है। समिति ने ”बोट्स आफ द गंगा बेसिन: रिवराइन एंड मेरीटाइम हेरिटेज” शीर्षक वाली एक विशेष डाक्यूमेंट्री फिल्म के निर्माण को स्वीकृति दी है।यह फिल्म गंगा में सदियों से फलती-फूलती लकड़ी की पारंपरिक नाव निर्माण कला को एक नए अंदाज में प्रस्तुत करेगी। डाक्यूमेंट्री का फोकस गंगा बेसिन में विकसित नाव निर्माण की सांस्कृतिक गहराई और ऐतिहासिक विरासत पर होगा।