उत्तर प्रदेशलखनऊ

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन हादसा: हालात तो अभी कहीं नहीं सुधरे

स्वतंत्रदेश ,लखनऊनई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हादसे के बाद भी प्रशासन ने सबक नहीं लिया है। आगरा में प्रमुख स्टेशनों पर भीड़ प्रबंधन के इंतजाम नाकाफी हैं। कैंट और फोर्ट रेलवे स्टेशनों से रोजाना पांच जोड़ी नियमित ट्रेनों के अलावा 20 से ज्यादा स्पेशल ट्रेनों की आवाजाही हो रही है। ज्यादा मारामारी साधारण कोच में है। ट्रेनों के आने पर यात्रियों की मदद के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है। हेल्प डेस्क भी दिखावा की तरह है। रविवार को यहां हादसे का कोई अपडेट या सूचना नहीं थी। वहीं फोर्ट स्टेशन पर साधारण टिकट वाले दो एटीवीएम बंद पड़े हैं। कैंट स्टेशन पर स्कैनर खराब है।प्रयागराज महाकुंभ में जाने और वहां से लौटने वालों की भीड़ स्टेशनों पर है। आगरा से नियमित ट्रेनों में आगरा कैंट-बनारस वंदेभारत एक्सप्रेस, मरुधर एक्सप्रेस, प्रयागराज-जयपुर एक्सप्रेस, अजमेर-सियालदह एक्सप्रेस सहित पांच जोड़ी ट्रेनों में 28 फरवरी तक 100 से 200 तक की वेटिंग है। ऐसे में महाकुंभ जाने वाले यात्री स्पेशल ट्रेनों के साथ ही साप्ताहिक ट्रेनों से सफर कर रहे हैं।प्रयागराज की 80 फीसदी ट्रेनें आगरा फोर्ट रेलवे स्टेशन से होकर चल रही हैं, जबकि 20 फीसदी ट्रेनों का संचालन आगरा कैंट स्टेशन से हो रहा है। स्पेशल ट्रेनों में भी कन्फर्म सीट नहीं है। जिन लोगों के पास कन्फर्म टिकट होते हैं, उन्हें भी अपने कोच में चढ़ने के लिए मारामारी के हालात से जूझना पड़ रहा है।

साधारण कोचों में बुरा हाल
साधारण कोचों में सबसे ज्यादा मारामारी हैं। एक ट्रेन में दो या तीन साधारण कोच हैं, जबकि साधारण टिकट 500 से 700 तक बिक रहे हैं। ऐसे में इन कोचों में सवार होने के लिए मारामारी हो रही है। इस वक्त कोई मदद महिला, बुजुर्ग और बच्चों के लिए नहीं की जा रही है। हालांकि ट्रेनों के पहुंचने पर दिल्ली हादसे के बाद आरपीएफ के जवान माइक लेकर सतर्क कर रहे हैं, लेकिन ट्रेन के रुकते ही लोगों को कोचों में सवार होने पर ध्यान रहता है।दृश्य एक, स्टेशन आगरा फोर्ट, समय दोपहर 3:05 बजे
आगरा फोर्ट स्टेशन के प्लेटफाॅर्म नंबर एक पर अहमदाबाद-प्रयागराज ट्रेन के पहुंचते ही भीड़ ट्रेन की ओर दौड़ पड़ी। साधारण कोचों पर जद्दोजहद शुरू हो गई। कई स्लीपर कोच वाले भी गेट नहीं खुले। इसी बीच एक युवक का पर्स गिर गया। वह कूद पड़ा। एक बुजुर्ग महिला दो बच्चों को चढ़ाने के प्रयास में गिरते-गिरते बची। आरपीएफ व जीआरपी के जवान केवल उद्घोषणा करते दिखे। यात्रियों की मदद करने वाला कोई नहीं दिखा। वह लोगों को केवल सचेत करने तक सीमित रहे।

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