बिजली के निजीकरण को लेकर कर्मचारियों ने दी उग्र आंदोलन की चेतावनी
स्वतंत्रदेश ,लखनऊपूर्वांचल एवं दक्षिणांचल को प्राइवेट पब्लिक पार्टरनशिप के तहत चलाने को लेकर ट्रांजक्शन एडवाइजर (टीए) की नियुक्ति संबंधी आवेदन मांगे जाते ही ऊर्जा संगठनों ने उग्र प्रदर्शन की चेतावनी दी है। काली पट्टी बांध कर विरोध जारी रहेगा। उपभोक्ता परिषद ने पूरे मसौदे पर ही सवाल उठाया है। कहा कि नए प्रस्ताव में उपभोक्ता हितों को लेकर कोई प्रावधान नहीं किया गया है।परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि टीए को लेकर तैयार की गई रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) मसौदे में कई तकनीकी खामियां हैं। विद्युत निगमों पर उपभोक्ताओं का 33122 करोड़ बकाया है। दक्षिणांचल व पूर्वांचल पर उपभोक्ताओं का करीब 16000 करोड़ है। यह उपभोक्ताओं को कैसे लौटाया जाएगा, आरएफपी में इसका जिक्र तक नहीं है। इसी तरह टीए के स्कोप आफ वर्क (एसओपी)में वैधानिक चूक है। परिषद अध्यक्ष ने आरोप लगाया है कि पूरे मसौदा में उद्योगपतियों को कैसे फायदा पहुंचाया जाए, इस पर कार्य करने की इजाजत है, लेकिन उपभोक्ताओं के हितों के लिए कोई प्रावधान नहीं है। इसी तरह आरडीएसएस योजना में खर्च हो रहे 44 हजार करोड़ खर्च पर भी कोई बात नहीं है। दूसरी तरफ वर्ष 2010 में कैबिनेट की ओर से टोरेंटो पावर के संबंध में लिए गए फैसले की भी टीए को समीक्षा करने का अधिकार दिया गया है।
जूनियर इंजीनियरों ने जताया आक्रोश
राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संघ की सोमवार को हुई बैठक में टीए की नियुक्ति प्रक्रिया पर आक्रोश जताया गया। अभियंताओं ने कहा कि निजीकरण से बिजली दरें महंगी होंगी। कर्मचारियों की छंटनी होगी। इसका सीधा असर किसी न किसी रूप में आम आदमी पर पड़ेगा। बैठक में मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की गई। प्रस्ताव पारित किया गया कि निजीकरण का फैसला वापस नहीं लिया गया तो जल्द ही उग्र आंदोलन शुरू किया जाएगा। इस दौरान सतनाम सिंह, अजय कुमार, बलबीर यादव, जीबी पटेल, जयप्रकाश, अवधेश कुमार यादव, सतवीर सिंह आदि ने संबोधित किया।
काली पट्टी बांध कर कार्य करते रहेंगे अभियंता
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने एलान किया है कि 15 जनवरी को भी सभी अभियंता बांह पर काली पट्टी बांध कर कार्य करेंगे। भोजनावकाश या कार्यालय के बाद विरोध सभाएं क रेंगे। समिति के पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय आदि ने बताया कि प्रबंधन द्वारा जारी निविदा पत्र में निजीकरण की बात बार- बार लिखी गई है। इससे स्पष्ट है कि कार्पोरेशन प्रबंधन बिजली व्यवस्था में सुधार नहीं बल्कि निजीकरण के लिए ही सभी प्रयास कर रहा है। ऐसा लगता है प्रबंधन ने पहले से ही टीए के लिए नाम तय कर रखा है, निविदा की प्रक्रिया औपचारिकता मात्र है।