उत्तर प्रदेशराज्य

महाकुंभ में सारे स्नान शाही नहीं; कब सामान्य

स्वतंत्रदेश ,लखनऊजब भी महाकुंभ की बात होती है तो सबसे पहले श्रद्धालुओं के मन में उन महत्वपूर्ण तिथियों को जानने की जिज्ञासा होती है, जिनमें शाही स्नान किया जा सकता है। इंटरनेट पर सर्च करने पर तिथियों के मामले में कई भ्रांतियां फैली हुई हैं, कोई पांच शाही स्नान बता रहा तो कोई छह शाही स्नान। आपके इसी असमंजस को दूर करने के लिए अमर उजाला ने तिथियों की तथ्यपरक जानकारी अपने पाठकों को तक पहुंचाना अपनी जिम्मेदारी समझा है। इस साल 13 जनवरी 2025 को महाकुंभ की शुरुआत होगी, जिसका समापन 26 फरवरी 2025, महाशिवरात्रि को होगा। महाकुंभ 45 दिन तक चलता है। हम आपको बता दें कि प्रयागराज में आयोजित इस बार के कुंभ में तीन शाही स्नान होंगे और इसके अतिरिक्त तीन ऐसी तिथियां होंगी जिन पर स्नान करना भी काफी शुभ माना जाएगा।

13 जनवरी (सोमवार)- स्नान, पौष पूर्णिमा
14 जनवरी (मंगलवार)- शाही स्नान, मकर सक्रांति
29 जनवरी (बुधवार)- शाही स्नान, मौनी अमावस्या
3 फरवरी (सोमवार)- शाही स्नान, बसंत पंचमी
12 फरवरी (बुधवार)- स्नान, माघी पूर्णिमा
26 फरवरी (बुधवार)-  स्नान, महाशिवरात्रिमहाकुंभ हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सव है। इसे कुंभ मेला भी कहा जाता है, महाकुंभ का आयोजन 12 वर्षों में किया जाता है। जहां पर श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं। यह उत्सव भारत की चार पवित्र नदियों और चार तीर्थ स्थानों पर ही आयोजित होता है। महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज के संगम , हरिद्वार में गंगा नदी, उज्जैन में शिप्रा नदी, और नासिक में गोदावरी नदी पर किया जाता है। इस बार प्रयागराज में महाकुंभ मेले का आयोजन हो रहा है। महाकुंभ में पूरे देश से श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंचते हैं। यहां तक कि विदेशों में रहने वाले हिंदू धर्म के लोग भी महाकुंभ में शामिल होने के लिए भारत आते हैं। ऐसे में कुंभ मेले में काफी भीड़ होती है और होटल, धर्मशाला और टेंट सुविधा की बुकिंग पहले से हो जाती है। इसलिए अगर आप महाकुंभ का हिस्सा बनना चाहते हैं तो पहले से ही होटल में बुकिंग करा लें। ट्रेन या फ्लाइट का टिकट भी पहले से ही बुक करा लें ताकि रिजर्वेशन कन्फर्म रहे।

 मुख्य स्नान पर्व पर मेले में चार प्वाइंटों से होगी एंट्री
महाकुंभ के दौरान मुख्य स्नान पर्व पर श्रद्धालुओं को चार स्थानों से मेला क्षेत्र में प्रवेश दिया जाएगा। वह काली सड़क होकर संगम जा सकेंगे, जबकि वापसी त्रिवेणी मार्ग से कर सकेंगे। 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा व 14 को मकर संक्रांति पर यही व्यवस्था लागू होगी। एसएसपी कुंभ राजेश कुमार द्विवेदी ने बताया कि मुख्य स्नान पर्व पर भीड़ अधिक होगी। इसी को देखते हुए मुख्य स्नान पर्व व सामान्य दिनों में मेला क्षेत्र के भीतर की यातायात व्यवस्था को सुगम बनाए रखने के लिए अलग-अलग प्लान बनाए गए हैं। 

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