उत्तर प्रदेशराज्य

कांवड़ मार्ग पर खानपान की दुकानों के ‘नेम प्‍लेट’ का विरोध जारी

स्वतंत्रदेश,लखनऊदेशभर में विरोध के बावजूद कांवड़ मार्ग पर खानपान की दुकानों पर मालिक और वहां काम करने वालों का नाम लिखने के फैसले पर सहारनपुर परिक्षेत्र के डीआइजी अजय साहनी अडिग हैं। उनका कहना है कि परिक्षेत्र के तीनों जिले सहारनपुर, शामली और मुजफ्फरनगर के कप्तान को निर्देशित किया गया है कि वे कांवड़ मार्ग पर खानपान की दुकानों पर मालिकों का नाम लिखवाना सुनिश्चित करें।

वहीं लखनऊ में कांग्रेस के प्रदेश अध्‍यक्ष अजय राय ने कहा कि यह बिल्कुल अव्यवहारिक है। वे समाज में भाईचारे की भावना को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं, लोगों के बीच दूरियां पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। इसे तुरंत रद्द किया जाना चाहिए। वहीं समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद डॉ. एसटी हसन ने कहा कि मुसलमानों का बहिष्कार करने और हिंदुओं की दुकानों पर जाने का संदेश दिया जा रहा है। यह सांप्रदायिक सोच कब तक चलेगी? यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। दो समुदायों के बीच दूरी पैदा की जा रही है। इस तरह के आदेश रद्द किए जाने चाहिए। पिछले दिनों मुजफ्फरनगर के एसएसपी अभिषेक सिंह ने कांवड़ रूट के खानापान की दुकानों, ढाबों व ठेलों के मालिकों को अपना नाम लिखने के लिए निर्देशित किया था। इस व्यवस्था का पालन भी होने लगा लेकिन बुधवार को इंटरनेट मीडिया में यह प्रकरण चर्चा में आ गया, जहां ओवैसी ने इसमें दखल दिया और मुजफ्फरनगर पुलिस की तुलना हिटलर के नाजियों से की।इसके बाद अन्य राजनीतिक पार्टियां और नेता भी इस विवाद में कूद पड़े। इस प्रबल विरोध के बाद गुरुवार की शाम को मुजफ्फरनगर पुलिस ने अपना स्टैंड बदला और इस बार लिखित बयान जारी किया कि, ‘कांवड़िये अपने खानपान में कुछ खाद्य सामग्री से परहेज करते हैं। पूर्व में ऐसे कई मामले प्रकाश में आ चुके हैं, जहां कांवड़ मार्ग पर खाद्य सामग्री बेचने वाले दुकानदार अपनी दुकानों के नाम इस तरह रखते हैं, जिससे कांवड़िये भ्रमित हो जाते हैं और कानून-व्यवस्था की स्थिति पैदा हो जाती है। इसकी पुनरावृत्ति रोकने और श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए होटल, ढाबे और खाद्य सामग्री बेचने वाले दुकानदारों से अनुरोध किया है कि वह स्वेच्छा से अपने मालिक और दुकान पर काम करने वालों का नाम प्रदर्शित करें।”

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